सूरजकुंड (Haryana): जेएनयू में देशद्रोही नारे लगने के बाद मानव संसाधन मिनिस्ट्री ने एक स्वागत योग्य फैसला लिया है। मानव संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 207 फ़ीट ऊँचे तिरंगे झंडे के फहराये जाने का आदेश दिया है। देखने में यह केवल एक सांकेतिक कदम है लेकिन इस का छात्र समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने को लेकर अधिकाँश लोग एकमत है। ये बात अलग है कि इस वर्तमान समय में गरमाई हुई राजनीति को देखते हुए फैसले का भी विरोध संभव है।
मंत्रालय का मानना है कि पूरे सम्मान के साथ रोज तिरंगा झंडा फहराया जाने से विश्वविद्यालयों में एक अखंड भारत का सन्देश छात्रों के मानस में जाएगा। माना यह भी जा रहा है कि स्ट्रांग मेसेज देने के लिए तिरंगा झंडा फहराये जाने की शुरुआत जेएनयू से ही की जा सकती है।
जैसा कि उम्मीद थी कि इस फैसले को लेकर भी विवाद होगा, कांग्रेस ने तिरंगा झंडा फहराये जाने का तो स्वागत किया है लेकिन साथ ही उसने भाजपा और संघ परिवार पर हमला बोलते हुए सवाल दाग दिया कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने नागपुर स्थित मुख्यालय पर आज तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया?
दरअसल आज मानव संसाधन मंत्रालय ने हरियाणा के सूरजकुंड में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के 46 उप कुलपतियों की बैठक बुलाई थी। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी की अधयक्षता में बुलाई गई इस मीटिंग का मुख्य एजेंडा हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से उपजे विवाद पर चर्चा करना था लेकिन बैठक का रूख इसके बजाय ताजा जेएनयू विवाद की और मुड़ गया।
यह भी पढ़िए – जेएनयू मसले पर ABVP के तीन पदाधिकारियों का इस्तीफ़ा, कहा ऐसी भाजपा सरकार के भौंपू नहीं बन सकते
आज की बैठक के बाद मंत्रालय के तिरंगा जिन सेंट्रल यूनिवर्सिटीज फहराया जायेगा उनमें मुख्या हैं : जेएनयू, डीयू, बीएचयू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी हैदराबाद समेत देश की अन्य सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज।