Suhagrat se jude ajeeb rivaj
शादी को लेकर दूल्हा-दुल्हन वैसे तो बेहद एक्साइटेड रहते हैं और आने वाले शादी-शुदा जीवन को लेकर हजारों सपने बुनते रहते हैं लेकिन शादी के बाद जिस पल सबसे ज्यादा इंतज़ार दूल्हा-दुल्हन को होता है वो है सुहागरात. हनीमून का नंबर भी इसके बाद ही आता है. दूल्हा और दुल्हन रिश्ता तय होने के बाद इसी रात का बेकरारी से इंतज़ार करते हैं. सच में है भी यह ऐसा रोमांटिक पल दूल्हा और दुल्हन के लिए जब दोनों ही तन और मन एक दूसरे को समर्पित कर सही मायनों में एक दूजे के हो जाते हैं.
लेकिन आप को शायद जान कर हैरत होगी कि जहां दूल्हा-दुल्हन सुहागरात को हसीं और यादगार बनाने के लिए आतुर होते हैं वहीं घरवाले रिश्तेदार इस सुहागरात को कुछ ऐसे रिवाज निभाने के लिए उन्हें मजबूर करते हैं जो दोनों के लिए शर्मिंदगी भरे भी हो सकते हैं. इनमें से कई रिवाज तो ऐसे हैं जिनकी आज के मॉडर्न समाज में कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है फिर भी भारत के अधिकाँश हिस्सों में नए-नवेले दूल्हा-दुल्हन के जोड़े को इन रस्मों को निभाना ही पड़ता है. आइये बताते हैं आपको कि क्या है ये रिवाज और कैसे निभाना पड़ता हैं सुहागरात को इन रिवाजों को दूल्हा-दुल्हन को:
(image from movie kabhie Kabhie)
१. दुल्हन द्वारा दूल्हे को दूध पिलाना : शायद ही ऐसी कोई हिंदी फिल्म हो जिसमें सुहागरात को दुल्हन दूल्हे को दूध का गिलास ऑफर न करती हो. याद कीजिये लाज से लिपटी शर्माती हुई धीरे धीरे सुहागरात को सेज की और कदम बढ़ाती हुई हेरोइन जो अपने हाथ में दूध का गिलास लिए हुआ आगे बढ़ रही है ! उफ्फ्फ !!
अब ये तो पता नहीं कि ऐसी कौन सी जोर-आजमाइश दूल्हे को करनी पड़ती है कि उसे केसर-बादाम वाले दूध की जरुरत पड़ती है सुहागरात को, लेकिन चलिए, सांकेतिक ही सही, इस रिवाज में ऐसी कोई बुराई भी नहीं है.
और फिर दुल्हन को भी तो मिलता है दूध पीने को तो भई बराबरी का मामला है, जाने दीजिये !
2. दूल्हा-दुल्हन को खाने को मिलता है पान – सुहागरात को दूल्हा-दुल्हन पहली बार एक दूसरे के इतने करीब आते हैं कि एक दूसरे के आगोश में समा जाते हैं. ऐसे में दोनों के मुंह से सुगन्धित सांस आये तो मिलान की ये पहली रत और भी मोहक हो उठती है. वरना सोचिये कि अगर दूल्हे का दुल्हन के मुंह से बदबू आ रही हो तो प्यार भरा आलिंगन और चुम्बन करना तो दूर , पहले पिया हुआ दूध भी बेकार ही चला जायेगा. इसलिए पान कहना भी ठीक ही रिवाज है भई, बोले तो किस करने की फूल छूट है पान खाने के बाद !
मानना है कि पान खाने से सेक्स पावर बढ़ जाती है। यहीं वजह है कि सदियों से नव-विवाहित जोड़ों को पान चबाने के लिए दिया जाता है।
3. दूल्हे को खानी पड़ती हैं दुल्हन की जूठी सुपाड़ी – भारत में कुछ जगह दूल्हे को दुल्हन की जूठी उस सुपाड़ी को खाने को दिया जाता है जो कि वो सुबह से मुंह पर रखी होती है, ताकि जूठा खाने से प्यार बढ़े।
4. महकते गुलाबों से सजी सेज – नई चादर बिछे बिस्तर पर खुशनुमा गुलाबोस से सजाई हुई सेज़ – नाव-विवाहित जेड के रोमांटिक मूड को और बढ़ाने के लिए इससे बेहतर और क्या माहौल हो सकता है. भले ही भाभियाँ और ननदें दूल्हे और दुल्हन को उनकी सुहागरात की सेज को लेकर जितना मर्जी हंसी-ठिठोली करें, चिढायें, लेकिन ऐसी सेज पर सुहागरात मनाने की कल्पना ही दूल्हा-दुल्हन को मादक मस्ती से भर देती है. इसलिए इस प्रथा में कोई बुराई नहीं दिखाई देती. बस, ध्यान रहे कि गुलाब के साथ कोई काँटा न रह जाए बिस्तर और वह गलत समय कहीं चुभ न जाये !
5. दुल्हन का लाल जोड़ा लेकिन बिस्तर पे सफ़ेद चादर – अब यहाँ से शुरू होती है दुल्हन के लिए शर्मिंदगी की शुरुआत. रात भर काम-क्रीड़ा के बाद सफ़ेद चादर पर कौमार्य भंग के सबूत के तौर पर घर की बड़ी-बूढी महिलाओं को सफ़ेद चादर पर दाग दिखाना – हैं न दकियानूसी और रूढ़िवादी परंपरा? लेकिन आज भी ग्रामीण और छोटे कस्बों में नई दुल्हन के कुंवारेपन की जांच इसी सफ़ेद चादर वाले इम्तहान से होकर गुजरती है !
6. सुहागरात की चादर को रिश्तेदारों को दिखना – यह वह प्रथा है जो सबसे शर्मनाक और अजीब है. यह वास्तव में लड़की के लिए बेहद शर्मिंदगी भरे हालात पैदा करने वाला हो सकता है. खासकर पिछड़े इलाकों में अभी भी यह कुप्रथा जारी है जिसे हम तो समझते हैं जल्द से जल्द ख़त्म कर दिया जाना चाहिए.
7. काल रात्रि पर तड़पता पति – भारत के बंगाल राज्य में शादी के बाद काल रात्रि की प्रथा है. इसमें दुल्हन और दूल्हे का प्रथम मिलन शादी की पहली रात को नहीं होता. शायद इसलिए कि दुल्हन को अपनी ससुराल के माहौल को जान्ने परखने का वक़्त मिल जाये. शादी की पहली रात्रि को दुल्हन बिना पति से शारीरिक मिलन के अगले दिन अपने घर लौट जाती है. दूल्हे और दुल्हन का मिलन इसके बाद ही होता है. अब भले ही रिवाज दुल्हन के हित में हो लेकिन दूल्हे मियाँ तो रह जाते हैं तड़पते हुए !