Dussehra par laghu nibandh
प्रस्तावना- भारत में समय समय पर बहुत पर्व मनाए जाते हैं। सभी पर्वों का अपना अपना महत्व है। ये पर्व जीवन में प्रसन्नता लाते हैं। इनसे नीरसता दूर होती है और जीवन में उत्साह पैदा होता है। इतना ही नहीं इनसे हमें प्रेरणा मिलती है। आपसी भाईचारा बढ़ता है और सांस्कृतिक सम्पन्नता की वृद्धि होती है। विजय दशमी भी भारत के ऐसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।
क्यों मनाया जाता है- यह पर्व राम की रावण पर विजय की प्रसन्नता में मनाया जाता है। अत्याचारी रावण का वध राम ने इसी दिन किया था। इसी दिन विभीषण को लंका कार राज्य सौंपा गया था ओर उसका राज्याभिषेक किया गया था। इसी दिन सीता को रावण के अत्याचारों से मुक्ति मिली थी। रावण के अत्याचारों से सभ्य समाज, ऋर्षि, मुनि, संन्यासी सभी दुखी थे। श्री राम ने रावण का वध कर मानव समाज को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।
इस प्रकार यह पर्व असत्य पर सत्य की, पाप पर धर्म की, जीत का पर्व है।
कब मनाया जाता है- यह त्योहार प्रति वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है- उत्तरी भारत के प्रायः सभी नगरों में इस त्योहार के मनाने का ढंग एक सा ही है। यह त्योहार दस दिन तक चलता है। श्री राम के पूरे जीवन की मुख्य घटनाओं को नाटक के रूप में दिखाया जाता है। इन लीलाओं को देखकर भक्तजनों में भक्ति भावना पैदा होती है और दुष्ट रावण के प्रति क्रोध उत्पन्न होता है।
इस त्योहार के दिन सर्वत्र खूब चहल पहल होती है। बाजार में मेलों का दृश्य दिखाई देता है। छोटे छोटे गाँवों में भी मेले लगते हैं। धनी निर्धन सभी व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुसार सामान खरीदते हैं। बच्चे इस मेले का खूब आनंद लेते हैं।
दशहरा सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक- दशहरा हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यह त्योहार धर्म भावना से युक्त है। यह त्योहार दानवता पर रामत्व की जीत का प्रतीक है रावणत्व पर रामत्व की जीत का प्रमाण है। इस पर्व से यह पता चलता है कि पाप का सदा नाश होता है। सत्य की अन्त में विजय होती है। इस त्योहार को मनाने से हमें पता चलता है कि पाप क्या है, पुण्य क्या है, अच्छा क्या है, बुरा क्या है? इतना ही नहीं, इससे यह भी पता चलता है कि पाप कर्मों का परिणाम सदा बुरा होता है। अच्छाई, सत्य कर्म, नैतिकता जीवन में सदा याद किए जाते हैं।
उपसंहार- इस प्रकार पर्वों को हमें निष्ठापूर्वक मनाना चाहिए। उनसे हमें प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए और अपने जीवन को उन्नति की ओर ले जाने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।