Swatantrata Divas (15 August) par laghu nibandh
प्रस्तावना- हमारा देश लगभग दो सौ वर्ष तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। अंग्रेजों ने भारतवासियों पर बहुत अत्याचार किये। भारतवासियों ने अंग्रेजों से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयत्न किया। अन्त में हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हो गया।
स्वतन्त्रता संघर्ष का इतिहास- लोक मान्य तिलक, सुभाष चन्द्र बोस, शहीद भगत सिंह, महात्मा गाँधी, लाला लाजपत राय आदि अनेक नेताओं ने भारत माता को स्वतन्त्र कराने के लिए संघर्ष किया। लोकमान्य तिलक ने कहा था स्वराज्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। इसे हम लेकर रहेंगे। सुभाष चन्द्र बोस ने भारतवासियों को ललकारते हुए कहा था- ‘तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’ महात्मा गाँधी ने भी सन् 1942 में करो या मरो का नारा दिया।
इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए भारतवासियों ने बहुत त्याग किया। माताओं, बच्चों, बूढ़ों, युवकों ने सभी ने मिलकर अंग्रेजों के विरूद्व आन्दोलन चलाया। तभी हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतन्त्र हो पाया।
भारत पाक विभाजन- 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद तो हो गया, पर अंग्रेजों ने इसे स्वतन्त्र करने से पहले भारत और पाकिस्तान को दो भागों में बाँट दिया। हिन्दू-मुसलमानों में झगड़े शुरू हो गए। लाखों हिन्दुओं को अपने घर-बार, सम्पत्ति आदि छोड़कर पाकिस्तान से भारत आना पड़ा। उन्होंने भारत की स्वतन्त्रता में महान त्याग किया।
दिल्ली में स्वतन्त्रता दिवस- दिल्ली भारत की राजधानी है। यहाँ प्रति वर्ष स्वतन्त्रता दिवस बड़ी धूम धाम और उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस दिन लाल किले के विशाल मैदान में लोग इकट्ठे होते हैं। देश के बड़े बड़े नेता और अन्य राष्ट्रों के राजनयिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहते हैं। प्रधानमन्त्री लाल किले की दीवार पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। प्रधानमंत्री इसी अवसर पर राष्ट्र के नाम संदेश भी देते हैं। उनका भाषण रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित होता है। रात को जगह जगह पर रोशनी की जाती है। संसद भवन और राष्ट्रपति भवन पर की जाने वाली रोशनी देखने योग्य होती है।
विद्यालयों में स्वतन्त्रता दिवस– विद्यालयों में भी स्वतन्त्रता दिवस समारोह बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। सभी छात्र-छात्राएँ और अध्यापक विद्यालय में प्रातः एकत्र होने शुरू हो जाते हैं। प्रातः 8.00 बजे के लगभग राष्ट्र-ध्वज का आरोहण होता है। विद्यार्थी राष्ट्र-ध्वज को प्रणाम करते हैं। इस अवसर पर देश भक्ति के प्रेरणादायक गीत सुनने योग्य होते हैं। भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष की कहानी को सुन रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
विद्यालयों में इस अवसर पर मिष्टान्न वितरण भी किया जाता है। गाँवों, नगरों, सभी स्थानों पर इस राष्ट्रीय पर्व की झलक बहुत ही आकर्षक होती है। सभी लोग इसे बड़े उत्साह और धूम धाम के साथ मनाते हैं।
उपसंहार- हमें चाहिए कि इस पवित्र और अत्यन्त महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व के शुभ अवसर पर अपने देश पर मर मिटने वालों के प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित करें। उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का सब से अच्छा तरीका है उनके सिद्धान्तों पर चलना। उनके बनाए हुए रास्ते को अपनाना। इससे हमारे राष्ट्र की स्वाधीनता निरन्तर सुदृढ़ होगी। इतना ही नहीं हमें भी अपने राष्ट्र के प्रति अपने कत्र्तव्य का पालन करने में सहायता मिलेगी। इस अवसर पर हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम जो भी कार्य करेंगे, राष्ट्र के हित को ध्यान में रखकर करेंगे।