नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के गिरते स्तर और आये दिन सामने आने वाले विवादों से शायद छुटकारा मिलने के दिन आते नजर आ रहे हैं । शायद ऐसा भी हो कि भारतीय क्रिकेट को स्पॉट फिक्सिंग, कोटा सिस्टम और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्ति मिल जाये । ऐसा इसलिए कि आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग विवाद सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस लोढ़ा समिति की रिपोर्ट पर विहार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को लोढ़ा कमिटी की सारी सिफारिशों पर अमल करने का आदेश दिया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बीसीसीआई के सारे रास्ते बंद करते हुए निर्देश दिया है कि वह लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर एक्शन ले। कोर्ट का आदेश सिर्फ इतना ही नहीं था बल्कि कोर्ट ने बीसीसीआई को 3 मार्च तक बोर्ड के स्ट्रक्चर में बदलाव सम्बन्धी समिति की अनुशंषा पर जवाब दाखिल करने को भी कहा है । अपने स्पष्ट और सरल आदेशों के लिए जाने वाले देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) टी एस ठाकुर ने कहा कि हम बेहद सामान्य और सीधा समाधान देंगे। हम लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार करते हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) टी इस ठाकुर ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि हम बोर्ड की किसि भी अपील को तभी ध्यान देंगे अगर जस्टिस लोढ़ा की रिपोर्ट में कोई इंटरनल इन्कन्सिस्टेंसी होगी वरना बोर्ड को समिति कि सभी रेकमेंडेशन्स माननी होंगी। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में स्पॉट फिक्सिंग को लेकर देश के शीर्ष कोर्ट ने न्यायाधीश लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्य समिति का गठन किया था जिसने जांच के बाद 4 जनवरी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। समिति ने आईपीएल से चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिए निलंबित करने की सिफारिश की थी।
- तीन सदस्यीय समिति की बीसीसीआई (BCCI) में सुधार की मुख्य सिफारशें निम्न हैं:
- बोर्ड में मंत्री कोई पद नहीं लें।
- पदाधिकारियों की उम्र और कार्यकाल तय हो।
- सट्टेबाजी को वैध माना जाए।
- प्रत्येक राज्य से एक इकाई का प्रतिनिधित्व हो।
- बीसीसीआई में संस्थागत और शहर आधारित इकाइयों का मताधिकार वापस लिया जाए।