Advertisement

सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में कौन सा अलंकार है?

सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में कौन सा अलंकार है?


सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में कौन सा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में उपमा अलंकार है क्योंकि यहाँ की तुलना सागर और गिरी से की गई है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में उपमेय, उपमान, समान धर्म एवं वाचक को स्पष्ट कीजिये

Advertisement

उपमेय – जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में उपमेय है।

उपमान – जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है। उपर्युक्त पंक्ति में सागर और गिरी उपमान है।

Advertisement

समान धर्म – उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है। उपर्युक्त उदाहरण में गंभीरता और ऊंचाई समान धर्म है।

वाचक शब्द – वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में सा वाचक शब्द है।

Advertisement

सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में उपमा अलंकार का कौन सा भेद है?

सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरी-सा ऊंचा हो जिसका मन में उपमा का भेद है – लुप्तोपमा

उपमा अलंकार- जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं

Advertisement

सा, से, सी, सम, समान, सरिस, इव, समाना आदि कुछ अन्यवाचक शब्द है।

उपमा अलंकार के तीन भेद हैं–पूर्णोपमा, लुप्तोपमा और मालोपमा।

(क) पूर्णोपमा – जहाँ उपमा के चारों अंग विद्यमान हों वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है;

जैसे-
हरिपद कोमल कमल से”

(ख) लुप्तोपमा – जहाँ उपमा के एक या अनेक अंगों का अभाव हो वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है;

जैसे-
“पड़ी थी बिजली-सी विकराल।
लपेटे थे घन जैसे बाल”।

Advertisement

(ग) मालोपमा – जहाँ किसी कथन में एक ही उपमेय के अनेक उपमान होते हैं वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।

जैसे-
“चन्द्रमा-सा कान्तिमय, मृदु कमल-सा कोमल महा
कुसुम-सा हँसता हुआ, प्राणेश्वरी का मुख रहा।।”

उपमा अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:

Advertisement

उपमा अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

Advertisement

Leave a Reply