नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था में निरंतर कमजोरी आ रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक हालातों के बिगड़ने का प्रभाव भारत की इकोनॉमी पर भी दिखाई देने लगा है। आज एक डॉलर के मुकाबले रुपया 68.75 के निचले स्तर पर आ गया। रुपये में यह गिरावट यह 28 अगस्त 2013 के बाद रुपए का सबसे निचला स्तर है। करंसी में लगातार कमजोरी से मंहगाई होना तय है . खाने पीने की चीज़ों में दालों, पेट्रोलियम पदार्थों और टीवी, फ्रिज जैसी वस्तुएं खासकर महँगी हो सकती हैं .
रुपये पर सबसे ज्यादा दबाव आयातकों की डॉलर की बढ़ती मांग के कारण बना है . साथ ही पिछले कुछ दिनों से डॉलर संसार की अन्य मुद्राओं के मुकाबले ज्यादा मजबूत हुआ है। रूपए में गिरावट का एक और मुख्य कारण विदेशी निवेशकों द्वारा इक्विटी बाज़ार से लगातार पैसा वापस निकलने कारण बना दबाव है जो रुपये को लगातार डॉलर के मुकाबले नीचे ले जा रहा है .
रुपये की डॉलर के मुकाबले गिरावट का सीधा असर तिलहन (दालें), खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल और पेट्रोल पदार्थों पर पडेगा क्यूंकि भारत इनका बड़े पैमाने पर आयात करता है और उसे इनकी कीमत पहले से ज्यादा रुपये देकर चुकानी होगी.
कारों की कीमत भी बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा कार मैन्युफैक्चरर्स कारों में इस्तेमाल होने वाले बहुत सारे पार्ट्स इम्पोर्ट करते हैं।
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एलईडी टीवी, एयर कंडीशनर आदि आयातित सामान भी मंहगे होने की संभावना है. कंजूमर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान ४ % तक महंगे हो सकते हैं। खाद्य तेलों की खपत बढ़ती जा रही है और ये भी एक बड़ी वजह रहेगी जिससे भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा.