रहीम के दोहे Rahim ke dohe with meaning
रहिमन यहि संसार में, सब सो मिलिय धाइ।
ना जानैं केहि रूप में, नारायण मिलि जाइ।।
Rahiman yahi sansaar mein, sab so miliye dhaai
Na jaanai kehi roop mein, narayan mili jaai
अर्थात (Meaning in Hindi): ऐसी मान्यता है कि कण-कण में भगवान
व्याप्त हैं। वह किसी भी रूप में हमारे सामने प्रकट हो सकता है। अतः हमें किसी का निरादर नहीं करना चाहिए। क्या पता हम जिसका निरादर करते हैं, वह परिवर्तित रूप में भगवान ही हो।
रहीम कहते हैं कि इस जग में वास करते हुए सभी से नेक आचरण करना चाहिए। कोई मिल जाए तो उसकी अवहेलना करना अनुचित है। सबसे उत्साहपूर्वक मिलना चाहिए। क्योंकि यह निश्चित नहीं है कि न जाने किस रूप में नारायण सामने आ खड़े हों।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न उबरहिं, मोती मानु श चून।।
Rahiman paani rakhiye, binu pani sab soon,
Pani gaye na ubarai, moti maanush choon
अर्थात (Meaning in Hindi): निस्संदेह जल का बहुत महत्व है, बल्कि यह कहा जाए कि जल ही सर्वस्व है तो अतिशयोक्ति न होगी। जल के अभाव में सृष्टि की कल्पना करना व्यर्थ है। इसके अतिरिक्त जल का सामाजिक अर्थ भी है। जल को सम्मान का पर्यायवाची माना जाता है। जिस व्यक्ति का आचरण अशालीन होता है, जो स्वार्थसिद्धि के लिए अपनी मर्यादा तज देता है, उसे प्रायः इस लोकोक्ति का सामना करना पड़ता है कि ‘तुम्हारी आंखों का तो पानी ही मर गया है।’
रहीम जल की महिमा को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि जल को सदैव अपने पास रखिए, उसकी कभी भी आवश्यकता पड़ सकती है। जल के बिना कोई काम नहीं सुधरेगा। जल नहीं तो मनुष्य, आटे, मोती व चूने की गति नहीं। जल के अभाव में मनुष्य के प्राण कंठ में आ जाते हैं, आटा बिना गुंथा रह जाता है, मोती का शान उतर जाती है और चूना अनुपयोगी रह जाता है। अतः जल के बिना किसी का उद्धार नहीं होता।
या रहीम दुख सुख सहत, बड़ लोग सह सांति।
उवत चंद जेहि भांति सों, अथवत ताही भांति।।
Ya rahim dukh such sahat, bad log sah saanti
Uvat chand jehi bhaanti soun, athavt taahee bhaanti
अर्थात (Meaning in Hindi): प्रायः देखा जाता है कि मुनष्य को जरा सा दुख घेर ले तो वह रात-दिन कराहता है और निसहाय होकर बैठ जाता है। इसी प्रकार सुख का समय आ जाए तो मनुष्य फूला नहीं समाता और इतराता फिरता है। उसे लगता है, मानो सुख उसका दास है और उसे छोड़कर अब कहीं नहीं जाएगा। जबकि वह निरंतर कभी दुख से मलिन पड़ता है तो कभी सुख से खिल उठता है।
इस कुत्सित मानवीय प्रवृत्ति की भत्र्सना करते हुए रहीम कहते हैं कि सुख दुख धूप छाया की भांति हैं, इनसे पल-पल में हर्षित अथवा प्रभावित नहीं होना चाहिए। दुर्बल मानसिकता वाले ही सुख-दुख से प्रभावित होते हैं, जबकि दृढ़ मानसिकता वाले ऐसे बड़े लोग होते हैं, जो शांति व धैर्य से सुख-दुख सहते हैं। उनके हाव-भाव में किसी भी अवसर पर अतिरेक के दर्शन नहीं होते। वह चांद की भांति उदित होते हैं और चांद की भांति अस्त। उनकी तारम्यता व गति न कभी मंद पड़ती है और न कभी तीव्र। उनकी जीवन नौका भवसागर की समलहरों में सहज गति से तैरती हैं।
जो रहीम उत्तम प्रकृत्ति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।।
Jo rahim uttam prakruti, ka kari sakat kusang,
Chandan vish vyapat nahin, lipte rahat bhujang
अर्थात (Meaning in Hindi): सुदृढ़ चरित्र के व्यक्ति का यह स्वभाविक गुण होता है कि उस पर संग-कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता। वह दूसरों द्वारा संचालित नहीं होता और अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करता। यदि उसे कोई अपने रंग में रंगना चाहे तो इसमे उसे सफलता नहीं मिलती। उसके रंग व प्रवृत्ति में कोई अंतर नहीं पड़ता।
रहीम के शब्दों में, जो उत्तम प्रवृत्ति और दृढ़ स्वभाव वाला होता है, कुसंगति उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उसे अपने स्वभाव से कोई विचलित नहीं कर सकता। चंदन का वृक्ष भी उत्तम कोटि का होता है, भले ही उस पर सांप लिपटे रहें, किंतु उसका स्वभाव नहीं बदलता, उसकी सुगंध बनी रहती है।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही सांचे मीत।।
Kahi Rahim sampati sage, banat banat bahu reet
Bipati kasoutee je kasai, ye hee sanche meet
अर्थात (Meaning in Hindi): सच्चा मित्र कौन है? वही, जो समय वह आवश्यकता पड़ने पर काम आए, सुख के तो कई साथी होते हैं, किंतु सच्चा साथी दुख का साथी होता है।
रहीम कहते हैं कि संपत्ति व संपन्नता में अनेक लोग विभिन्न रीति नीति व छल कपट से सगे, संबंधी व मित्र बनने का दावा करते हैं, किंतु सच्चा मित्र वही होता है, जो विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है। अर्थात् जो संकट व दुख में भी साथ दे उसे ही सच्चा मित्र मानना चाहिए। धन के लोभ में जुट आए सगे-संबंधी स्वार्थी होते हैं, धन के विदा होते ही वे भी विदा हो जाते हैं।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।