रहीम के दोहे Rahim dohe with meaning
रहिमन वहां न जाइए, जहां कपट को हेत।
हम तन ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत।।
Rahiman vahan na jaaiye, jahan kapat ko het
Ham tan ghaarat dhekuli, seenchat apno khet
अर्थात (Meaning in Hindi): इस दोहे में रहीम ने ऐसी जगह न जाने का आग्रह किया है, जहां छल कपट हो सकता है। ऐसी जगह परिश्रम करके जो कुछ अर्जित किया जाता है, उसे छल कपट से छीन लिया जाता है। वहां श्रम का कोई फल नहीं मिलता। श्रम करता है ऊधो और फल पर अधिकार जमाता है माधो।
रहीम कहते हैं, वहां बिल्कुल नहीं जाना चाहिए, जहां लोग कपट से अपना हित साधते हैं। ढेकुली से खींच कुएं से पानी तो हमने निकाला, पर हमें उसका कोई लाभ नहीं हुआ, क्योंकि हमारे निकाले पानी से कोई कपटी अपना खेत सींच रहा था।
ओछो काम बड़े करैं तौ न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहै न कोय।।
Ochho kam bade karai tou na badaai hoy
Jyon rahim hanumant ko, giridhar kahai na koy
अर्थात (Meaning in Hindi): ऐसा क्यों होता है कि बड़ा काम यदि छोटे द्वारा संपादित हो तो उसे वैसा यश नहीं मिलता है, जैसा कि बड़े को बड़ा काम करते हुए मिलता है। ऐसा संभवतः व्यक्तियों के महत्व को देखते हुए होता है। किसे यश देना है और किसे नहीं, लोग इसका निर्णय व्यक्ति की गरिम व पद के अनुसार करते हैं।
रहीम कहते हैं, छोटा व्यक्ति यदि बड़ा काम करे तो उसकी बड़ाई नहीं होती। हनुमान ने संजीवनी बूटी वाला पहाड़ उठा लिया था, किंतु उनको कोई कृष्ण की तरह गिरिधर नहीं कहता। इसका कारण यही हो सकता है कि कृष्ण साक्षात हरि के अवतार थे, जबकि हनुमान हरि के दूसरे अवतार राम के परम सेवक।
कहि रहीम इक दीप तें, प्रगट सबै दुति होय।
तन सनेह कैसे दुरै, दुग दीपक जरू होय।।
Kahi rahim ek deep ten, pragat sabai duti hoy
Tan saneh kaise durai, dug Deepak jaru hoy
अर्थात (Meaning in Hindi): आंखों के हाव भाव मन का सारा भेद प्रकट कर देते हैं। मन में दुख है या सुख, बातों या मुंह के हाव भाव से भले ही इसे छिपाने में सफलता मिल जाए, किंतु आंखें शीघ्र बता देती हैं कि मन की स्थिति कैसी है? कोई लाख मौन रहे, उसकी आंखे मुखर होती हैं।
रहीम कहते हैं, केवल एक दीप के प्रज्जवलित होने से चारों ओर प्रकाश छा जाता है। कमरे के कोने कोने को जगमगाने के लिए एक दीप ही पर्याप्त है। पर तन को तो आंखों के दो दीप उपलब्ध हैं, ऐसी स्थिति में तन का कोना कोना आलोकित होकर सबको सहज नजर आ सकता है। यदि चित्त प्रीतभाव से हर्षित है तो आंखों के दीप की चमक इस भेद को शीघ्र प्रकट कर देती है।
तन रहीम है कर्म बस, मन राखो ओहि ओर।
जल में उलटी नाव ज्यों, खैंचत गुन के जोर।।
Tan rahim hai karm bas, man rakho ohi aur
Jal mein ulti naav jyon, khainchat gun ke jor
अर्थात (Meaning in Hindi): मनुष्य जग में अवतरित होता है तो जीवनयापन के लिए कर्म करना पड़ता है। भरण पोषण के लिए कर्म के बिना गति नहीं। व्यक्तिगत व पारिवारिक आवश्यकताएं कर्म से ही परिपूर्ण होती हैं। किंतु कर्म में संपूर्णतः संलिप्ति उचित नहीं। तन का काम कर्म करना है तो मन से परलोक संवारने के लिए उद्योग करना चाहिए।
रहीम कहते हैं, तन कर्म के वश में है। तन को अपनी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कर्मों में संलग्न होना पड़ता है। तन को अपने कर्म करने चाहिए, किंतु उनमें पूरी तरह लिप्त होना अहितकर है। यदि सांसरिक कर्मों में तन के साथ मन भी जोड़ दिया गया तो मनुष्य मोह माया के जाल में फंसकर परलोक को बिगाड़ देता है।
अतः मन को कर्मों की विपरीत दिशा में लगाना चाहिए। मन को सदैव भगवान के ध्यान में लगाकर रखना यही मन का कर्म है। मन को कर्मों से बलपूर्वक उसी तरह उलटी दिशा की ओर (भगवान की ओर) ले जाना चाहिए, जिस प्रकार जल की विपरीत दिशाओं में नाव को रस्सी के जोर से खींचा जाता है।
दादुर, मोर, किसान मन, लग्यो रहै घन माहिं।
रहिमन चातक रटनिहुं, सरवर को कोउ नाहिं।।
Dadur, mor, kisan man, lagyo hai ghan maahin
Rahiman chaatak ratnihun, sarvar ko kou naahin
अर्थात (Meaning in Hindi): कवियों मे चातक पक्षी का विरही के रूप में बड़ा ही मार्मिक और हदयग्राही चित्रण किया है। कवियों की दृष्टि में चातक की पुकार में विरह की सशक्त भावाभिव्यक्ति होती है। इस दोहे में रहीम ने चातक की पुकार को अतुलनीय बताया है।
रहीम कहते हैं, मेढ़क, मोर और किसान का मन बादलों में लगा रहता है। जैसे ही गगन में मेघ छाते हैं, इन सबमें मानो नए प्राण आ जाते हैं। मेघों के प्रति लगन की इनकी तुलना चातक से नहीं की जा सकती। मेघ देखते ही चातक का विरही मन पिया की स्मृति में व्याकुल हो जाता है। उसकी व्याकुलता से सिद्ध हो जाता है कि मेघों में जितना उसका मन लगा होता है, किसी और का नहीं।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।