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Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।

Rahim ke dohe in Hindi:

रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
खग मृग बसत अरोग बन, हरि अनाथ के नाथ।।

Rahiman bahu bheshaj karat, byaadhi na chhadant sath
Khag mrug basat arog ban, hari anaath ke nath

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रहीम के दोहे का अर्थ:

मनुष्य का सबसे बड़ा रोग है चिंता। विभ्रम, लालच, भय और माया की चिंता में मनुष्य सदैव उलझा होता है। ऐसी स्थिति में उसे न माया मिलती है और न राम। इसी चिंता में घुल कर वह ऐसा रोगी बन जाता है, जिसका कोई इलाज नहीं होता। बीमारी से मुक्त होने के लिए वह वैद्यों और डाक्टरों के चक्कर काटता है, महंगी औषधियों का सेवन करता है, किंतु स्वास्थ्य लाभ उससे कोसों दूर रहता है। स्वस्थ होकर जीवन व्यतीत करना स्वयं मनुष्य के वश में है। जैसे ही वह चिंताओं से मुक्त हो जायेगा, स्वास्थ्य उसका कभी साथ नहीं छोडेगा।

रहीम कहते हैं, मनुष्य कितनी औषधियों का सेवन करता है, किंतु व्याधियां कभी उसका साथ छोड़ने को तैयार नहीं होती। वह निश्चिंत होकर जीवन यापन करे, चिंताओं से मुक्त रहे और स्वयं को भगवान के भरोसे छोड़ दे, तब व्याधि उसके निकट भी नहीं फटकेगी। वनचरों को कभी औषधियों की आवश्यकता नहीं होती। पक्षी व मृग आदि अरोगी होकर वन में बसते हैं। अनाथों के नाथ भगवान होते हैं, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की चिंता नहीं सताती।

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Rahim ke dohe रहीम के 25 प्रसिद्ध दोहे अर्थ व्याख्या सहित

25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।

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