Peene ke sthan par Deepak kyon jalana chahiye?
वास्तु के अनुसार हमें प्राप्त होने वाले सुख दुख हमारे घर की स्थिति पर भी निर्भर करते हैं। यदि घर में कोई वास्तु दोष होगा तो निश्चित ही इसके बुरे परिणाम ही हमें प्राप्त होंगे। वास्तु सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धातों पर ही कार्य करता है।
अतः घर में जो भी वस्तुएँ निगेटिव एनर्जी को बढ़ाती है, उनसे वास्तुदोष बढ़ता है। यदि किसी घर की आर्थिक तरक्की नहीं हो रही है, पूरी मेहनत के बाद भी घर के हर सदस्य को उनकी योग्यता के अनुसार सफलता नहीं मिल पाती है, किसी ना किसी तरह की समस्या या परेशानी हमेशा बनी रहती है तो वास्तुदोष का निवारण करना चाहिए।
घर में बार बार एक्सीडेंट होते हैं तो निश्चित ही उस घर में पितृदोष होता है। इसलिए जिस घर में पीने के पानी का स्थान दक्षिण दिशा में हो उस घर को पितृदोष अधिक प्रभावित नहीं करता, साथ ही यदि नियमित रूप से उस स्थान पर घी का दीपक लगाया जाए तो पितृदोष आर्शीवाद में बदल जाता है। ऐसा माना जाता है।
यदि पीने के पानी का स्थान उत्तर या उत्तर-पूर्व में भी है तो भी उचित माना गया है और उस पर भी पितृ के निमित दीपक जलाने से पितृदोष का नाश होता है, क्योंकि पानी में पित्तरों का वास माना गया है और पीने के पानी के स्थान पर उनके नाम का दीपक लगाने से पितृदोष की शांति होती है ऐसी मान्यता है।