हरिवंश राय बच्चन – आत्म परिचय, एक गीत NCERT Solutions
कविता के साथ
प्रश्न 1: कविता एक ओर जग-जीवन का मार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय हैं?
उत्तर (1) – जग-जीवन का भार लेने से कवि का अभिप्राय यह है कि वह सांसारिक दायित्वों का निर्वाह कर रहा है। आम व्यक्ति से वह अलग नहीं है तथा सुख-दुख, हानि-लाभ आदि को झेलते हुए अपनी यात्रा पूरी कर रहा है। दूसरी तरफ कवि कहता है कि वह कभी संसार की तरफ ध्यान नहीं देता। यहाँ कवि सांसारिक दायित्वों की अनदेखी की बात नहीं करता। वह संसार की निरर्थक बातों पर ध्यान न देकर केवल प्रेम पर केंद्रित रहता है। आम व्यक्ति सामाजिक बाधाओं से डरकर कुछ नहीं कर पाता। कवि सांसारिक बाधाओं की परवाह नहीं करता। अत: इन दोनों पंक्तियों के अपने निहितार्थ हैं। ये एक-दूसरे के विरोधी न होकर पूरक हैं।
उत्तर (2) – कवि आम व्यक्ति से अलग नहीं है तथा सुख-दुःख, हानि-लाभ को झेलते हुए वह अपनी यात्रा पूरी कर रहा है। कवि संसार के दायित्व को भार समझता है। वह सांसारिक कष्टों की ओर ध्यान नहीं देता बल्कि वह संसार की चिंताओं के प्रति सजग है। वह अपनी कविता के माध्यम से संसार को भारहीन और कष्टमुक्त करना चाहता है।
प्रश्न 2: जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं-कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर (1) – नादान यानी मूर्ख व्यक्ति सांसारिक मायाजाल में उलझ जाता है। मनुष्य इस मायाजाल को निरर्थक मानते हुए भी इसी के चक्कर में फैसा रहता है। संसार असत्य है। मनुष्य इसे सत्य मानने की नादानी कर बैठता है और मोक्ष के लक्ष्य को भूलकर संग्रहवृत्ति में पड़ जाता है। इसके विपरीत, कुछ ज्ञानी लोग भी समाज में रहते हैं जो मोक्ष के लक्ष्य को नहीं भूलते। अर्थात संसार में हर तरह के लोग रहते हैं।
उत्तर (2) – ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – पंक्ति के माध्यम से कवि कहते है कि मनुष्य सांसारिक मायाजाल में उलझ गया है और वह अपने मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य को भूल गया है। कवि सत्य की खोज के लिए, अहंकार को त्याग कर नई सोच अपनाने पर जोर दे रहा है।
प्रश्न 3: मैं और, और जग और कहाँ का नाता- पंक्ति में ‘और’ शब्द की विशेषता बताइए।
उत्तर (1) – यहाँ ‘और’ शब्द का तीन बार प्रयोग हुआ है। अत: यहाँ यमक अलंकार है। पहले ‘और’ में कवि स्वयं को आम व्यक्ति से अलग बताता है। वह आम आदमी की तरह भौतिक चीजों के संग्रह के चक्कर में नहीं पड़ता। दूसरे ‘और’ के प्रयोग में संसार की विशिष्टता को बताया गया है। संसार में आम व्यक्ति सांसारिक सुख-सुविधाओं को अंतिम लक्ष्य मानता है। यह प्रवृत्ति कवि की विचारधारा से अलग है। तीसरे ‘और’ का प्रयोग ‘संसार और कवि में किसी तरह का संबंध नहीं’ दर्शाने के लिए किया गया है।
उत्तर (2) – यहाँ ‘और’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
- पहले ‘और’ में कवि स्वयं को आम आदमी से अलग बताता है।
- दूसरे ‘और’ के प्रयोग में संसार की विशिष्टता को बताया गया है।
- तीसरे ‘और’ के प्रयोग संसार और कवि में किसी तरह के संबंध को नहीं दर्शाने के लिए किया गया है।
प्रश्न 4: शीतल वाणी में आग’ के होने का क्या अभिप्राय हैं?
अथवा ‘शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ’-इस कथन से कवि का क्या आशय है?
अथवा ‘आत्मपरिचय’ में कवि के कथन- ‘शीतल वाणी में आग लिए फिरता हुँ’ – का विरोधाभास स्पष्ट र्काजिए।
उत्तर (1) – कवि ने यहाँ विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया है। कवि की वाणी यद्यपि शीतल है, परंतु उसके मन में विद्रोह, असंतोष का भाव प्रबल है। वह समाज की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। वह प्रेम-रहित संसार को अस्वीकार करता है। अत: अपनी वाणी के माध्यम से अपनी असंतुष्टि को व्यक्त करता है। वह अपने कवित्व धर्म को ईमानदारी से निभाते हुए लोगों को जाग्रत कर रहा है।
उत्तर (2) – कवि ने यहाँ विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया है। इस का आशय यह है कि कवि अपनी शीतल और मधुर आवाज में भी जोश, आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ता जैसी भावनाएँ बनाए रखते हैं ताकि वह लोगों को जागृत कर सके।
प्रश्न 5: बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे?
उत्तर (1) – पक्षी दिन भर भोजन की तलाश में भटकते फिरते हैं। उनके बच्चे घोंसलों में माता-पिता की राह देखते रहते हैं कि मातापिता उनके लिए दाना लाएँगे और उनका पेट भरेंगे। साथ-साथ वे माँ-बाप के स्नेहिल स्पर्श पाने के लिए प्रतीक्षा करते हैं। छोटे बच्चों को माता-पिता का स्पर्श व उनकी गोद में बैठना, उनका प्रेम-प्रदर्शन भी असीम आनंद देता है। इन सबकी पूर्ति के लिए वे नीड़ों से झाँकते हैं।
उत्तर (2) – पक्षी दिनभर भोजन की तलाश में भटकते हैं। उनके बच्चे दिनभर उनकी प्रतीक्षा में रहते हैं। शाम को उनके लौटने के समय बच्चे कुछ पाने की आशा में घोंसलों से झाँक रहे होंगे।
प्रश्न 6: दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं- की आवृति से कविता की किस विशेषता का पता चलता हैं?
उत्तर (1) – ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’-की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ बढ़ते मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। पथिक लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आतुर होता है। इस पंक्ति की आवृत्ति समय के निरंतर चलायमान प्रवृत्ति को भी बताती है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। अत: समय के साथ स्वयं को समायोजित करना प्राणियों के लिए आवश्यक है।
उत्तर (2) – दिन जल्दी-जल्दी ढलता है- की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने वाले मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। गंतव्य का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति भर देता है।
हिंदी आरोह के सभी पाठों का हल – Chapter wise
Q1. कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ – विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है? Answer :कवि आम व्यक्ति से अलग नहीं है तथा सुख-दुःख, हानि-लाभ को झेलते हुए वह अपनी यात्रा पूरी कर रहा है। कवि संसार के दायित्व का भार समझता है। वह सांसारिक कष्टों की ओर ध्यान नहीं देता बल्कि वह संसार की चिंताओं के प्रति सजग है। वह अपनी कविता के माध्यम से संसार को भारहीन और कष्टमुक्त करना चाहता है। |
Q2. ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा ? Answer : ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – पंक्ति के माध्यम से कवि कहते है कि मनुष्य सांसारिक मायाजाल में उलझ गया है और वह अपने मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य को भूल गया है। कवि सत्य की खोज के लिए, अहंकार को त्याग कर नई सोच अपनाने पर जोर दे रहा है। |
Q3. मैं और, और जग और कहाँ का नाता – पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए। Answer : यहाँ ‘और’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। अतः यहाँ यमक अलंकार है। |
Q4. शीतल वाणी में आग – के होने का क्या अभिप्राय है ? Answer : कवि ने यहाँ विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया है। इस का आशय यह है कि कवि अपनी शीतल और मधुर आवाज में भी जोश, आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ता जैसी भावनाएँ बनाए रखते हैं ताकि वह लोगों को जागृत कर सके। |
Q5. बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ? Answer : पक्षी दिनभर भोजन की तलाश में भटकते हैं। उनके बच्चे दिनभर उनकी प्रतीक्षा में रहते हैं। शाम को उनके लौटने के समय बच्चे कुछ पाने की आशा में घोंसलों से झाँक रहे होंगे। |
Q6. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है ? Answer : दिन जल्दी-जल्दी ढलता है – की आवृत्ति से यह प्रकट होता है कि लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने वाले मनुष्य को समय बीतने का पता नहीं चलता। गंतव्य का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति भर देता है। |