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हिन्दीवार्ता का यह कहना नहीं है कि रेप हुआ या नहीं. अगर हुआ है तो अपराधियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजी दी जानी चाहिए और नहीं हुआ है तो जाट आरक्षण आंदोलन की आलोचना या समर्थन आरक्षण के मुद्दे तक रहना चाहिए या इस दौरान हुई हिंसा तक रहना चाहिए. रेप केस का एंगल सिर्फ सनसनी फ़ैलाने के लिए इस आंदोलन के साथ जोड़ा जाना उचित नहीं है और स्वस्थ पत्रकारिता नहीं है.