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मोदी – जिनपिंग वार्ता कामयाब, शान्ति और सदभावनापूर्ण आपसी रिश्तों पर जोर

आखिरकार जिस पर भारत और चीन ही नहीं, बल्कि सारे संसार की आँखें लगीं हुईं थी, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और चीन के प्रेजिडेंट जी जिनपिंग के बीच में मुलाक़ात हो ही गयी. डोकलाम पर सीमा विवाद के बाद दोनों क्षेत्रीय नेताओं के बीच यह पहली मुलाक़ात थी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा था.

विदेश सचिव जयशंकर ने बताया कि मीटिंग सद्भावना पूर्ण वातावरण में हुई और दोनों ही देश इस बात पर राजी हुए कि बातचीत के जरिये कभी भी दुबारा डोकलाम जैसी स्थिति नहीं बनने दी जाएगी.

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MODI JINPING MEET PEACEFUL RELATIONSप्रेस कांफ्रेंस में श्री जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों का फोकस मीटिंग में इस बात को लेकर था कि हाल ही में उत्पन्न्न विवाद की स्थिति फिर से नहीं पैदा होने पाए. हालांकि विदेश सचिव डोकलाम का ही जिक्र कर रहे थे किन्तु उन्होंने प्रेस वार्ता में “डोकलाम” शब्द को कहने से परहेज किया.

विदेश सचिव ने कहा कि दोनों ही पक्ष “सीमा पर शांति और सदभाव” को दोनों देशों के आपसी रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक मानते हैं. दोनों देशों के मध्य पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा देने के लिए और प्रयास किये जाने चाहिए .

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जब श्री जयशंकर से हाल ही में चीन द्वारा सीमा के उल्लंघन का सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मोदी-जिनपिंग मीटिंग का उद्देश्य आगे की और देखना था.

“देखिये, हम दोनों (भारत और चीन) जानते हैं कि क्या हुआ. यह मीटिंग पीछे जो हुआ उस बारे में नहीं थी, बल्कि आगे क्या बेहतर हो सकता है, इस बारे में थी.” विदेश सचिव ने कहा.

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आतंकवाद का मुद्दा मोदी और जिनपिंग की मध्य वार्ता में नहीं उठा. हालांकि आतंकवाद के बारे में ब्रिक्स में विस्तार से चर्चा हुई थी.

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