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क्यों मंदिर में बैठकर ही करना चाहिए दर्शन?

Mandir mein baith kar darshan kyon karne chahiye?

मंदिर जाने से सभी को मानसिक शांति व सुख महसूस होता है। इसीलिए लोग नियमि रूप से देवालय जाते हैं। भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है। हर व्यक्ति भगवान के मंदिर अनेक तरह की प्रार्थनाएं और समस्याएं लेकर जाता है। भगवान के सामने स्पष्ट रूप से अपने मन के भावों को प्रकट कर देने से भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है। देवालय जाकर बहुत से लोगों की आदत होती है कि वे खड़े खड़े दर्शन करते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार यह गलत है। इसीलिए मंदिर जाए तो यह ध्यान रखें कि मंदिर में भगवान की मूर्ति के दर्शन हमेशा बैठकर करें। साथ ही दर्शन करते समय यह ध्यान रखें कि सबसे पहले मूर्ति के चरणों को देखें नतमस्तक होकर प्रार्थना करें।
देवता के पक्ष पर, अर्थात् अनाहत चक्र पर मन एकाग्र करें व अंत में देव मूर्ति के नेत्रों की ओर देखें वे उनके रूप को अपने नेत्रों में बसाएं। मंदिर में कुछ भी मांगने या प्रार्थना करते समय दान लेने की, क्षमा याचना या आर्शीवाद लेने की अवस्था में बैठकर प्रार्थना करें। इसे आपकी हर मुराद तो शीघ्र पूरी होगी। साथ ही मंदिर जाने के पूर्ण सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगेंगे।

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