Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi for class 5/6 in 100 words महिला सशक्तिकरण पर निबंध
महिला सशक्तिकरण शब्द आज के समय के लिए कोई नया शब्द नहीं है। आज पूरे विश्व में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हो रही है। सुना हुआ होने के बावज़ूद भी बहुत से लोग इस शब्द का सही अर्थ नहीं समझते हैं। सदियों से महिलाओं को समाज में दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना गया जिससे उनमें स्वयं के अन्दर सही निर्णय न ले पाने की भावना घर कर गई। इस भावना को दूर करने के लिए महिला के सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हुई जिससे वह इतनी सशक्त हो कि वह अपने जीवन से सम्बन्धित निर्णय लेने में सक्षम हो।
Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi for class 7/8 in 200 words महिला सशक्तिकरण पर निबंध
महिला के सशक्तिकरण का अर्थ है कि वह इतनी सशक्त हो वह अपने जीवन के विभिन्न पक्षों से सम्बन्धित निर्णय परिवार या समाज के दबाव में न ले, बल्कि स्वयं सोच-विचार कर ले सके। उसकी अपनी निजी स्वतंत्रता हो। यदि हम खुशहाल परिवार, समाज, देश एवं दुनिया की कल्पना करते हैं तो हमें महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा देना होगा। पुरुषों के समान उन्हें भी जीवन के हर पक्ष में स्वस्थ वातावरण देकर हम महिलाओं को सशक्त कर सकते हैं। जिससे वे इतनी सशक्त हो जायें कि अपने परिवार, समाज, देश एवं दुनिया से सम्बन्धित फैसलों में अपनी भागीदारी कर सकें और निर्णय ले सकें।
हांलाकि कानूनी रूप से महिलाओं को बराबरी का अधिकार प्राप्त है लेकिन कई स्थानों पर यह अभी दस्तावेजों में ही है न कि व्यावहारिक रूप से। अधिकाँश स्थानों में अभी भी पुरुष ही निर्णय लेते हैं। जबकि महिलायें मात्र घर के कार्यों से सम्बन्धित निर्णय भी नहीं लेतीं। वैसे तो कन्याओं को देवी का रूप समझकर पूजा जाता है लेकिन कई स्थानों पर अभी भी उन्हें बालकों से कम सुविधायें दी जाती हैं। देश की आधी आबादी महिलाओं की है अतः देश के विकास के लिए यह अति आवश्यक है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में पूरे-पूरे अधिकार न सिर्फ कागजी रूप में पढ़ाये जायें बल्कि उनके क्रियान्वयन पर भी नजर रखी जायें।
Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi for class 9/10 in 500 words महिला सशक्तिकरण पर निबंध
महिलाओं को स्वतंत्रता और निर्णय लेने का अधिकार ही महिला सशक्तिकरण है। पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी महिलाओं की परवरिश इस प्रकार की जाती है कि वे स्वयं से सम्बन्धित निर्णय हों या अपने परिवार से सम्बन्धित निर्णय, उनके लिए पुरुष पर आश्रित रहती है। उसमें वह विश्वास ही नहीं जग पाता कि वह जो निर्णय लेगी वह सही होगा। कई क्षेत्रों में जहाँ महिलाओं द्वारा लाभ लेने की योजना की बात होती है तो वहाँ तो महिलाओं को आगे कर दिया जाता है अन्यथा उन्हें घर की चारदिवारी में पारीवारिक जिम्मेदारियों तक ही सीमित रखा जाता है। अपने पर हो रहे अत्याचारों को, समाज में परिवार की बदनामी के डर से महिलायें सदियों से झेलती आई हैं।
महिला सशक्तीकरण की आवाज कई वर्षों से पूरे विश्व में गूँज रही है लेकिन क्या सही मायनों में इस आवाज का असर महिलाओं के सशक्त होने पर पड़ा है ? पूरे देश एवं विश्व में महिला दिवस, बाल कन्या दिवस, मातृ दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या मात्र इनको मनाने मात्र से या सिर्फ एक दिन महिलाओं के अधिकारों, उनके सशक्तिकरण के मुद्दों पर चर्चा करने से महिलायें सशक्त हो जायेंगी ? सही मायनों में नहीं।
किन्तु विगत दशकों की अपेक्षा आज की स्थिति कहीं बेहतर है और यह सब परिणाम है महिलाओं को शिक्षित करने का। यदि लिंगानुपात की बात की जाये तो वह भी अब पहले की अपेक्षा बढ़ा है। जहाँ महिलाओं को पुरुषों के समान सुविधायें एवं अवसर प्रदान किये जाते हैं वहाँ महिलायें किसी भी स्तर पर पुरुषों से कम नहीं आंकी जातीं। संविधान में भी संसद में महिलाओं की 33 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित की गई है। जिससे महिलाओं के मुद्दों को अनदेखा न किया जा सके व विकास की राह में वे बराबरी की भागीदार रहें।
उसके इस आत्मविश्वास में कमजोरी को दूर करने के लिए आवश्यक है कि उसे जीवन के हर स्तर पर स्वस्थ वातावरण प्रदान किया जाये। यदि परिवार, समाज, देश अथवा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से सम्बन्धित निर्णय लेते समय उसकी भी राय ली जाये, उसके पक्ष को सुना जाये तो महिलाओं में भी आत्मविश्वास का भाव जागृत होगा। घर, विद्यालय एवं कार्यालय स्तर पर हर क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर प्राप्त कराने चाहियें। महिलाओं को चाहिये कि यदि आवश्यकता पड़े तो वे अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ें। महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि महिलाओं के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाये। जिससे भविष्य में और कोई इस प्रकार महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित न कर पाये।
दहेज, घरेलू हिंसा, बलात्कार, मानव तस्करी, वैश्यावृत्ति जैसे कई अन्य गंभीर मृद्दों पर सख्त कार्यवाही करने की आवश्यकता है। कार्यवाही भी ऐसी हो जिसमें महिला को ज्यादा परेशानी न हो और विश्वास दिलाया जाये कि उसके साथ अत्याचार करने वाले पर कठोर कार्यवाही की जायेगी। महिलाओं की सशक्तता के लिए इस प्रकार के कई ठोस कदम एवं नीतियाँ अमल में लाने एवं लागू करने की आवश्यकता है। महिलायें ही देश के भविष्य को जन्म देती हैं ओर वे ही बच्चे की पहली गुरु होती हैं यदि वे सशक्त होंगी तो भविष्य भी सशक्त होगा। अतः उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तीकरण बहुत आवश्यक है।