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क्या निर्भया को सच में मिल पाया न्याय? राज्य सभा में बाल अपराधियों के खिलाफ बिल पास

राज्य सभा में मंगलवार को जघन्य अपराध बलात्कार आदि के मामले में 16 से 18 वर्ष के किशोरों (बाल अपराधी) पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाला ऐतिहासिक बिल पास हो गया। राजधानी दिल्ली में आज से तीन साल पहले हुए एक लड़की से घिनौने बलात्कार (निर्भया काण्ड), जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, के बाद ऐसे क़ानून की मांग पूरे देश से उठ रही थी।

nirbhaya gang rape delhi protest juvenile justice billये बात दीगर है कि नए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 का 16 दिसंबर 2012 के बलात्कार मामले के फैसले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उस काण्ड में शामिल किशोर की अभी हाल ही में सुधार गृह से रिहाई हुई है।

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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) यह तय करेगा कि किसी मामले में बाल अपराधी पर वयस्क की तरह मुक़दमा चलाया जा सकता है या नहीं। नए क़ानून में बाल अपराधी जिस पर वयस्क की तरह मुक़दमा चलाया गया हो, को अधिकतम सात वर्षों की सज़ा दी जा सकेगी। यह बिल लोक सभा में पहले ही पास हो चुका है

निर्भया, तीन वर्ष पूर्व जघन्य बलात्कार की शिकार बालिका, के माता-पिता उस समय राज्य सभा में उपस्थित थे, जब यह बिल पास हो रहा था। बालिका की माँ ने बिल पास होने के बाद कहा कि मुझे संतोष है कि यह बिल राज्य सभा में पास हो गया किन्तु मेरी बेटी को अभी भी न्याय नहीं मिल पाया है। बलात्कार के बाद दम तोड़ देने वाली बालिका की माँ ने अपराध में शामिल किशोर के सुधार गृह से मुक्त हो कर घर वापसी पर अफ़सोस जताया। उनके अनुसार उस अपराधी को सही सज़ा नहीं मिल पाई है।

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वह किशोर अपराध के समय 18 वर्ष से कम आयु का था और जहाँ अन्य अपराधियों को फांसी की सज़ा मिली, उसे अदालत से सुधार गृह भेजे जाने का आदेश ही हुआ था।

2012 में हुए इस बलात्कार काण्ड ने पूरे देश की अंतरात्मा को हिला कर रख दिया था और देश के कोने कोने से ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त क़ानून की मांग उठने लगी थी।

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निर्भया काण्ड के आरोपी की रिहाई के विरुद्ध भारत की न्याय व्यवस्था को निर्भया के स्वर में धिक्कारती कविता। स्वयं पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें।

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जिसके वहशीपन से मेरी सांस का धागा टूट गया
बहुत दुखी हूँ तुम्हें बताते मेरा कातिल छूट गया

रौंद गया जो मेरे सपने जिसने मुझको मारा था
केवल मेरा नहीं था वो मानवता का हत्यारा था

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मेरी भी अभिलाषा थी मैं खूब उड़ूँ पक्षी बनकर
लेकिन मेरे जीवन में वो आया नरभक्षी बनकर

सीधा साधा मेरा जीवन, कुछ घंटों में बदल गया
सुनकर जिसका क्रूर कृत्य दिल बड़े बड़ों का दहल गया

जिसके कुकृत्य से शर्मशार भारत माता की कोख हुई
उसकी सजा बढ़ाने को जब हाईकोर्ट से रोक हुई

तब मुझे लगा कि भारत शायद अब भी जाग नहीं पाया
किसको कौन सजा देनी है यह भी जान नहीं पाया

उसको बच्चा मान लिया जो जल्लादों से बद्तर है
सच कहती हूँ आज की पीड़ा उस पीड़ा से बढ़कर है

मेरा कातिल निर्भय होकर जब सड़कों पर घूमेगा
लाचार व्यवस्था पर भारत की बच्चा बच्चा थूकेगा

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न्याय की आशा में थी मैं तो मेरे संग में घात हुआ
मेरे संग भी वही हुआ जो अरुणा जी के साथ हुआ

सिंघासन पर मुट्ठी भींचे द्रोण नहीं हो सकती हूँ
मौन रहो तुम लोग मगर मैं मौन नहीं हो सकती हूँ

मैं पूछ रही हूँ तुम सबसे क्या किया करोगे क्या आगे
जिससे कोई किसी बहन की लाज की देहरी न लांघे

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इस अंधे कानून की आँखों से पट्टी हटवाने में
कितनी लाशें और लगेंगी ये पट्टी खुलवाने में
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