Khandit murti ki puja kyon nahin karni chahiye?
भगवान की भक्ति में भगवान की मूर्ति का अत्यधिक महत्व है। प्रभु की मूर्ति देखते ही भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव स्वतः ही उत्पन्न हो जाते हैं। भगवन की मूर्ति देखते ही मन में श्रद्धा उमड़ आती है और सर भगवन के आगे झुक जाता है. हमारे मन में भक्ति का एक ऐसा भाव उत्पन्न हो उठता है कि सब कुछ भूल कर हम बस भगवन की पूजा में डूब जाते हैं.
शास्त्रों के अनुसार भगवान की प्रतिमा पूर्ण होनी चाहिए, कहीं से खंडित होने पर प्रतिमा पूजा योग्य नहीं मानी गई है। खंडित मूर्ति की पूजा को अपशकुन माना गया है।
प्रतिमा की पूजा करते समय भक्त का पूर्ण ध्यान भगवान और उनके स्वरूप की ओर ही होता है। अतः ऐसे में यदि प्रतिमा खंडित होगी तो भक्त का सारा ध्यान उस मूर्ति के उस खंडित हिस्से पर चली जाएगा और वह पूजा में मन नहीं लगा सकेगा।
जब पूजा में मन नहीं लगेगा तो व्यक्ति भगवान की ठीक से भक्ति नहीं कर सकेगा और वह अपने आराध्य देव से दूर होता जाएगा।
इसी बात को समझते हुए प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों ने खंडित मूर्ति की पूजा को अपशुकन बताते हुए उसकी पूजा निष्फल ठहराई है।