Khana khane se pahle aachman kyon karna chahiye?
कहते हैं स्वस्थ्य शरीर में ही स्वास्थ्य है और जिसका शरीर स्वस्थ रहता है वह जीवन का हर दिन पूरी ऊर्जा व खुशी के साथ जीता है और उसे अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। हमारे यहां दैनिक जीवन से जुड़ी कई परंपराएँ हैं। उन्हीं में से कुछ परंपराएँ ऐसी हैं जो हमारे स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में मदद करती है।
ऐसी ही एक परंपरा है भोजन के समय आचमन की। भोजन से पहले आचमन किया जाता है। आचमन करते समय हाथ में जल लेकर पहले तीन बार उसे खाने की प्लेट की चारों तरफ घुमाते हैं। उसके बाद म नही मन ईश्वर का स्मरण किया जाता है और ईश्वर को नैवेद्य ग्रहण करने की प्रार्थना की जाती है। साथ ही उन्हें भोजन प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया जाता है। उसके बाद तीन बार आचमन लेकर उसे ग्रहण किया जाता है।
माना जाता है कि ऐसा करने से ईश्वर का आर्शीवाद तो प्राप्त होता है साथ ही भोजन भी बहुत जल्दी पच जाता है और भोजन से पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि भोजन से पहले थोड़ा जल ग्रहण करने से जो आहार नलिका जो थोड़ी सिकुड़ी हुई होती है, वह खुल जाती है। जिससे भूख तो बढ़ती है साथ ही पाचन संबंधित कोई समस्या भी नहीं होती है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों में भोजन को ‘अन्नदेव’ के नाम से पुकारा जाता है। कहते हैं प्रेम से भोजन ग्रहण करने पर आत्मा और मन की शुद्धि होती है। ग्रंथों में भगवान के दर्शन के लिए सबसे पहले अन्न को ही ब्रह्म रूप बताया गया है अन्नं ब्रह्म इति व्याजानात्।
आज के दौर में भोजनशैली और व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है। जाहिर है इससे इंसान की सेहत, सोच, स्वभाव और व्यवहार भी प्रभावित हुए हैं।
भोजन करने पहले कफ प्रबल होता है , इसीलिए भोजन से पहले आचमन का विधान है । भोजन करने से पहले 1 -2 घूँट पानी पी लेना चाहिए । चाहे अंजलि में लेकर पीएँ या गिलास से घूँट भरें । इससे गले की श्लेष्मा दूर होती है और पेट की जठराग्नि तीव्र होती है ; जिससे पाचन भली प्रकार होता है ।
खाने से पहले अधिक पानी न पीएँ । कोयले की जलती हुई आग में पानी के दो चार छींटे मारे जाएँ तो आग तेज़ होती है ; लेकिन आग में अधिक पानी डाल दें तो वह बुझ जाएगी । इसी प्रकार खाने से पहले अधिक पानी पीने से भूख मर जाती है । लेकिन पानी का आचमन करने से भूख बढ़ती है ।