स्टोन पेल्टिंग लंबे समय से कश्मीर में एक बड़ा मुद्दा रहा है| श्रीनगर में इनसे सेना के संचालन और शांति उपायों में बाधा पहुचंती है। हम सभी जानते है, पाकिस्तान इन सब गतिविधियों में शामिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने पत्थरबाजों को वस्तु विनिमय प्रणाली में शामिल किया हुआ है| जो कि उन्हें अपने काम के बदले में सामान का भुगतान करता है। कैसे इस वस्तु विनिमय प्रणाली को वास्तविकता के लिए लाया गया है? यह किसी को भी चौका देगा|
कैसे कश्मीर के पत्थरबाज करते है लेन-देन
एक उदाहरण के लिए, अगर एक ट्रक 10 लाख रुपये का सामान श्रीनगर के लिए मुजफ्फराबाद से लाता है| तो श्रीनगर में उसे केवल 5 लाख रूपए के सामान का ही भुगतान मिलेगा| बाकि के 5 लाख रूपए का सामान पत्थर फेकने वालो तक पहुंचाया जायेगा| एजेंसियों के अनुसार, यदि इन वाहनों के इस आदान-प्रदान को रोक दिया गया| तो पत्थरबाजो का मुद्दा स्वतः खत्म हो जाएगा और घाटी में शांति फिर से शुरू हो जाएगी। इसलिए गुप्त एजेंसियां और सेना इन वाहनों के आने-जाने की जांच कर रहे हैं| दोनों देशों के बीच माल के आदान-प्रदान की जांच की जा रही हैं।
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्थरबाजो का किया समर्थन
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कश्मीर में पत्थरबाजो का बचाव किया| उन्होंने दावा किया कि सभी कश्मीरी युवक पत्थरबाज नहीं है| उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राष्ट्र उनके भविष्य के बारे में चिंतित नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे पत्थर पेल्टिंग का समर्थन करके राष्ट्र की भावनाओं के साथ खेल नहीं रहे। घाटी में पत्थर पेल्टिंग द्वारा बनाई गई अशांति के खिलाफ असंतोष दिखाने की बजाय पूर्व मुख्यमंत्री को उनके प्रति सहानुभूति निभाते देखा गया।
उन्होंने नाराज होते हुए कहा – पूरे देश की भावनाएं क्या हैं? राष्ट्र की भावनाओं से क्या मतलब है? आपको यह देखना होगा कि लड़कों की कुछ शिकायतें हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि उन्हें कुछ शिकायतें हैं? आप केवल देश के लिए चिंतित हैं। राष्ट्र उनके बारे में (पत्थरबाजो) और उनके भविष्य की चिंता क्यों नहीं करता|