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कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा (Kartik Purnima Vrat Katha in Hindi)

कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा (Kartik Purnima Vrat Katha in Hindi) – एक बार की बात है त्रिपुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या की। त्रिपुर की इस घोर तपस्या के प्रभाव से सभी जड़-चेतन, जीव-जन्तु तथा देवता भयभीत होने लगे। तब देवताओं ने त्रिपुर की तपस्या को भंग करने के लिए खूबसूरत अप्सराएं भेजीं।

Kartik Purnima Vrat Katha in Hindiपरंतु त्रक्षिपुर की कठोर तपस्या में वह बाधा डालने में सफल न पाईं। अंत में ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हुए तथा उससे वर मांगने के लिए कहा।

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तब त्रिपुर ने ब्रह्मा जी से वर मांगते हुए कहा ‘न मैं देवताओं के हाथ से मरु, न मनुष्यों के हाथ से।’ वरदान मिलते ही त्रिपुर निडर होकर लोगों पर अत्याचार करने लगा। जब उसका इन बातों से भी मन न भरा तो, उसने कैलाश पर्वत पर ही चढ़ाई कर दी। इसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव और त्रिपुर के बीच घमासान युद्ध होने लगा।

काफी समय तक युद्ध चलने के बाद अंत में भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु की सहायता से उसका वध कर दिया। इस दिन से ही क्षीरसागर दान का अनंत माहात्म्य माना जाता है।

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कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन दान का फल दोगुना या इससे अधिक भी मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन सिख धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म हुआ था।

सृष्टि के आरंभ से ही एक तिथि बड़ी ही खास रही है। यह तिथि है कार्तिक पूर्णिमा। इसका महत्व सिर्फ वैष्णव भक्तों के लिए ही नहीं शैव भक्तों के लिए भी है। पुराणों की कथा के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाबलशाली असुर का वध इसी दिन किया था।

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इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली रूप में थे।

भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे पुनः सृष्टि का निर्माण कार्य आसान हुआ।

गंगा स्नान का महत्व – शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान का भी महत्व है। यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

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कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्‍तेश्‍वर तीर्थ में स्नान करने का भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि महाभारत युद्घ समाप्त होने के बाद अपने परिजनों के शव को देखकर युधिष्ठिर बहुत शोकाकुल हो उठे। पाण्डवों को शोक से निकालने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गढ़ मुक्तेश्वर में आकर इसी दिन मृत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ और दीपादन किया। उस समय से ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन गढ़मुक्‍तेश्‍वर में स्नान और दीपदान की परंपरा शुरू हुई।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का महत्व – शास्त्रों में दान का बड़ा महत्व बताया गया है। इनमें कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान का अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में उसे वापस मिल जाता है। इसलिए उदारता पूर्वक जरूरतमंदों को वस्त्र,धन एवं अनाज दान करना चाहिए।

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