KAIFI AZMI SHER – Kaifi Azmi poems in Hindi
जब जब हिंदुस्तान में ग़ज़ल, शेर-शायरी और नज़्म का जिक्र होगा, कैफी आज़मी का नाम जरूर लिया जाएगा। दिल की गहराई तक उतर जाने वाले कैफी आज़मी के शेर (Kaifi Azmi Sher), इंतहाई तौर पर गहरे एहसासों को जुबान देती उनकी ग़ज़लें और आम आदमी की ज़िंदगी को मज़मून बनाती कैफी आज़मी की नज़्में, हिन्दी फिल्मों के लिए लिखे गए कैफी आज़मी के गीत – ये सब गवाह हैं एक ऐसे सफर के जिसमें हर इंसान अपने कदमों की आहट भी कहीं न कहीं महसूस करता है। आज हम आप सबके लिए लाये हैं कैफी आज़मी की मशहूर रचनाएँ हिन्दी में ताकि आप भी इनका आनद उठा सकें।
उठ मेरी जान !! मेरे साथ ही चलना है तुझे
इन्साँ की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद
शोर यूं ही न परिंदों ने मचाया होगा
कोई जंगल की तरफ शहर से आया होगा
बुतशिकन कोई कहीं से भी न आने पाये
हमने कुछ बुत अभी सीने में सज़ा रखे हैं
वो कभी धूप कभी छांव लगे
मुझे क्या-क्या न मेरा गाँव लगे
पत्थर के खुदा वहाँ भी पाये
हम आज चाँद से लौट आए
मैं यह सोच कर उसके दर उठा उठा था
के वो रोक लेगी, मना लेगी मुझको
ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है?
तेरी हर लहर से बारूद की बू आती है!
आज सोचा तो आँसू भर आए
मुद्दतें हो गई मुस्कराये
मुद्दत के बाद उसने की जो लुत्फ की निगाह
जी खुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े
Kaifi Azmi Poetry in Hindi
यही नहीं, कैफी के और भी ढेरों शेर हैं आपको अंदर तक छू जाएंगे। पेश हैं कुछ बानगी शेर (Kaifi Azmi Sher):
बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमां जो बस गए
इंसां की शक्ल देखने को हम तरस गए
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने
दीवाना पूछता है ये लहरों से बार बार
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े
दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं
याद इतना भी कोई न आए
पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा
बिछड़ के उनसे सलीक़ा न ज़िन्दगी का रहा
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
बेलचे लाओ खोलो ज़मीं की तहें
मैं कहाँ दफ़्न हूँ कुछ पता तो चले
कैफी आज़मी की 30 बेहतरीन ग़ज़लें और नज़्में
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- कैफी आज़मी Shayari in Hindi कर चले हम फ़िदा
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- कैफी आज़मी Shayari in Hindi काफ़िला तो चले
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi अंदेशे (होके मजबूर मुझे उस ने भुलाया होगा )
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi दस्तूर क्या ये शहरे-सितमगर के हो गए
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi कोहरे के खेत (वो सर्द रात जबकि सफ़र कर रहा था मैं)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi दूसरा बनबास (राम बन-बास से जब लौट के घर में आए )
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi तलाश (ये बुझी सी शाम ये सहमी हुई परछाइयाँ)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi तसव्वुर (ये किस तरह याद आ रही हो)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi दाएरा (रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi एक बोसा (जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को )
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi नया हुस्न (कितनी रंगीं है फ़ज़ा कितनी हसीं है दुनिया)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi औरत (उठ मेरी जान!! मेरे साथ ही चलना है तुझे)
- कैफी आज़मी Shayari in Hindi दोशीज़ा मालिन (लो पौ फटी वह छुप गई तारों की अंज़ुमन)
KAIFI AZMI SHER – Kaifi Azmi poems in Hindi
Jab jab Hindustan mein ghazal, sher-shayari aur nazm ka jikr hoga, Kaifi Azmi ka nam jaroor liya jayega. Dil ki gahraiyon tak utar jane vale kaifi azmi ke sher intehai taur par gahre ehsason ko juban deti unki ghazalen aura am aadmi ko majmoon banati kaifi Azmi ki nazmen, Hindi filmon ke liye likhe gaye kaifi Azmi ke geet – ye sab gavah hain ek aise safar ke jismein har insaan apne kadmon ki aahat bhi kahnin n kahin mahsoos karta hai. Aaj ham aapke liye laye hain Kaifi Azmi poetry in Hindi taki aap bhi inka aanad utha saken:
Uth meri jan, mere sath hi chalna hai tujhe
Insaan ki khwahishon ki koi inteha nahin
Do gaj jameen chaahiye do gaj kafan ke bad
Shor yun hi n parindon ne machaya hoga
Koi jangal ki taraf shahar se aaya hoga
Butshikan koi kahin se bhi n aane paye
Hamne kuchh but abhi seene mein sazaa rakhen hain
Vo kabhi dhoop kabhi chhanv lage
Mujhe kya-kya n mera gaanv lage
Patthar ke khuda vahan bhee paye
Ham aaj chaand se laut aaye
Main yah soch kar uske dar utha tha
Ki vo rok legi, manaa legi mujhko
Ae sabaa! Laut ke kis shahar se tu aati hai?
Teri har lahar se baarood ki boo aati hai!
Aaj socha to aansu bhar aaye
Muddaton ho gai muskaraye
Muddat ke bad usne kee jo lutf kee nigaah,
Dil khush to gaya magar aansu nikal pade
Yahi nahin kaifi azmi ke aur bhee dheron sher hain jo aapko andar tak chhoo jayenge. Pesh hain kuch bangi Kaifi Azmi Sher:
Basti mein apni hindu musalmaan jo bas gaye
Insaan ki shaql dekhne ko ham taras gaye
Jhuki jhuki si nazar be-qaraar hai ki nahin
Dabaa dabaa sa sahi, dil mein pyaar hai ki nahin
Bas ek jhijhak hai yahi hale-dil sunane mein
Ki tera jikr bhi aayega is fasaane mein
Jin jakhmon ko vaqt bhar chala hai
Tum kyon unhen chede ja rahe ho?
Bahar aaye to mera salaam kah dena
Mujhe to aaj talab kar liya hai sahra ne
Deevana poochta hai ye lahron se bar-bar
Kuchh bastiyan idhar theen batao kidhar gai?
Jis tarah hans raha hun main pee pee keg arm ashq
Yun doosra hanse to kaleja nikal pade
Dil ki naajuk ragen tootati hain
Yad itna bhi koi na aye
Paya bhi unko kho bhi diya, chup bhi ho rahe
Ik mukhtasar see rat mein sadiyan gujar gai
Tu apne dil ki javan dhadkanon ko gin ke bataa
Miri tarah tira dil be-qaraar hai ki nahin?
Jo vo mire na rahe main bhi kab kisi ka raha?
Bichhad ke unse saleeka na zindagi ka rahaa
Gar dubna hi apna muqaddar hai to suno
Doobenge ham jaroor magar naakhuda ke sath
Rahne ko sadaa dahar mein aata nahin koi
Tum jaise gaye aise bhi jata nahin koi
Belche lao kholo jameen kee tahen
Main kahan dafn hoon kuchh pataa to chale?