रहीम के दोहे Dohe of Rahim
कहु रहीम कैसे निभै, बेर केर को संग।
वे डोलत रस आपने, उनके फाटत अंग।।
Kahu rahim kaise nibhai, ber ker ko sang
Ve dolat ras aapne, unke faatat ang
अर्थात (Meaning in Hindi): दुर्जन-सज्जन एकसाथ नहीं रह सकते। यदि साथ रहें तो हानि सज्जन की होती है, दुर्जन का कुछ नहीं बिगड़ता।
रहीम कहते हें बेर और केले के पेड़ आसपास उगे हों तो उनकी संगत कैसे निभ सकती है? दोनों का अलग-अलग स्वभाव है। बेर के पेड़ में कांटे उगते हैं तो केले का पेड़ नरम होता है। हवा के झोंकों से बेर की डालियां मस्ती में हिलती-डुलती हैं तो केले के पेड़ का अंग-अंग छिल जाता है।
अब रहीम चुप करि रहउ, समुझि दिनन को फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहै देर।।
Ab Rahim chup kari rahau, samujhi dinan ko fer
Jab neeke din aaihain, banat na lagihai der
अर्थात (Meaning in Hindi): आमतौर पर ऐसा होता है कि जब दुर्दिन आते हैं तो मनुष्य के हाथ पैर फूल जाते हैं। वह बुरे दिनों से उबरने का प्रयास नहीं करता, बल्कि रात दिन ठंडी आहें भरता है और दूसरों के आगे अपना दुखड़ा रोता है।
रहीम का परामर्श है, दुर्दिन आएं तो हाय तोबा मचाने के बजाय चुप रहना चाहिए। हाय तोबा सुनकर कोई मदद करने नहीं आएगा। अपनी मदद आप करनी चाहिए। जब अच्छे दिन आएंगे, तब बात बनते देर नहीं लगेगी।
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बे परवाह।
जिनको कछू न चाहिए, वे साहन के साह।।
Chah gai chinta miti, manua be parwah
Jinko kachhu na chahiye, ve saahan ke sah
अर्थात (Meaning in Hindi): चिंताओं का मूल है मन में नई-नई कामनाओं का पैदा होना। एक कामना पूरी होती है तो दूसरी कामना सिर उठाती है। कामनाओं को कैसे सिद्ध किया जाए, इसी चिंता में मनुष्य घुलता रहता है। वह जीवन को पूरी समग्रता से नहीं जी पाता। वह आजीवन कामनाओं का दास बना रहकर लोभ, मोह, माया, क्रोध व काम में फंसा रहता है। उसका एक पल भी शांतिपूर्वक व्यतीत नहीं होता।
इसके विपरित रहीम कहते हैं, यदि कामना न रहे, चाह का लोप हो जाए तो चिंता से मुक्ति मिल जाती है। सिर से सारा बोझ उतर जाता है और मन निश्चिंत और लापरवाह हो जाता है। सच तो यह है कि जिनको कुछ नहीं चाहिए होता, जो कामना रहित होते हैं, वे शाहों के भी शाह होते हैं।
तरूवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहिं सुजान।।
Taruvar fal nahin khat hain, sarvar piyahin na pan
Kahi rahim par kaj hit, sampati sanchahin sujaan
अर्थात (Meaning in Hindi): अपनी स्वार्थपूर्ति में तो सब लगे रहते हैं, किंतु जो परहित में लगा रहता है वही श्रेष्ठ जन है। दूसरों की हित साधना ही वास्तविक मानव धर्म है।
रहीम कहते हैं, हमें पेड़ व सरोवर से शिक्षा लेनी चाहिए। पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाता और न ही सरोवर अपना पानी स्वयं पीता है। दूसरों के लिए पेड़ फल उगाता है और सरोवर पानी का संचय करता है। अतः मनुष्य यदि अपनी आप स्वयं पर व्यय करता है तो इसमें कोई बढ़ाई की बात नहीं होती। दूसरे का काम संवारने के लिए जो मनुष्य संपत्ति का संचय करता है, वही श्रेष्ठ और सुजान है।
फरजी साह न है सके, गति टेढ़ी तासीर।
रहिमन सीधे चाल सों, प्यादो होत वजीर।।
Farjee sah na hai sake, gati tedhi taaseer
Rahiman seedhe chaal soun, pyado hot vajeer
अर्थात (Meaning in Hindi): कोई यह चाहे कि कुटिल चालें चलकर वह कुछ प्राप्त कर सकता है तो यह संभव नहीं है। शिखर पर पहुंचने के लिए हमेशा नेकी और सीधी चाल ही सहायक होती है।
रहीम कहते हैं, वजीर कभी शाह नहीं बन सकता, क्योंकि उसकी टेढ़ी चाल का प्रभाव उसके अनुकूल नहीं होता। टेढ़ी-मेड़ी चाल हमेशा ऊंचे पद तक पहुंचने में बाधक होती है। जबकि इसके विपरित प्यादा सीधी चाल चलता है, इसलिए वह वजीर बनने में सफल होता है।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।