रहीम के दोहे Rahim dohe in English
जो रहीम होती कहूं, प्रभु गति अपने हाथ।
तौ कोधौं केहि मानतो, आप बड़ाई साथ।।
Jo rahiman hoti kahun, prabhu gati apne hath
Tou kondhon kehi manto, aap badhaai saath
अर्थात (Meaning in Hindi): यदि अपना कोई प्रियजन रूठकर मुंह मोड़ ले तो उससे विरक्त नहीं होना चाहिए, उसे मनाने का अवश्य प्रयत्न करना चाहिए। अपनों में रूठना मनाना चलता रहता है। ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि एक बार जो रूठ गया, उसे दोबारा अपना मीत नहीं बनाया जा सकता। हां यदि स्वयं भी रूठकर मनाने का प्रयास न किया जाए तो मीत से हमेशा से हाथ धोना पड़ सकता है।
रहीम कहते हैं, यदि मीत का हदय भ्रमवश टूट जाए और वह रूठ जाए तो उसका हदय जरूर जोड़ना चाहिए, ताकि वह रूठना छोड़कर फिर अपना बन जाए। भले वह सौ बार रूठे, उसे बार बार मनाने से चूकना नहीं चाहिए। यदि मुक्ताहार बार बार टूटे तो क्या दाने उठाकर दोबारा नहीं पिरोए जाते?
दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं।
जान परत हैं काक पिक, ऋतु बसंत के मांहिं।।
Donon rahiman ek se, jou loun bolat naahin
Jan parat hain kak pik, ritu basant ke maanhin
अर्थात (Meaning in Hindi): दो व्यक्ति एक जैसे लग सकते हैं, किंतु यह आवश्यक नहीं कि उनका व्यवहार और वाणी भी एक समान हो। उनके विपरीत और भिन्न स्वभाव का पता तब चलता है, जब वे बोलते और व्यवहार करते हैं।
रहीम कहते हैं, पेड़ की डाल पर बैठे कौआ व कोयल जब तक बोलते नहीं, तब तक देखने में एक जैसे प्रतीत होते हैं। किंतु जब बसंत ऋतु आती है और वे बोलने लगते हैं, तब उनकी वाणी सुनकर उनके स्वभाव और व्यवहार का पता चलता है। कौए की वाणी कर्कष होती है, जो मन को खिन्न करती है, और कोयल की मधुर वाणी सुनकर मन आहादित होता है।
पुरूष पूजें देवरा, तिय पूजें रघुनाथ।
कहि रहीम दोउन बने, पंड़ो बैल को साथ।।
Purush poojen devra, tiy poojen raghunath
Kahi rahim doun bane, pando bail ko sath
अर्थात (Meaning in Hindi): रहीम ने इस दोहे में गृहस्थी में सुंतलन बनाए रखने का आग्रह किया है। यह नितांत सत्य है कि असंतुलित गृहस्थी कभी सुचारू रूप से नहीं चल सकती। इसमें सबसे बड़ा योगदान होता है पति पत्नी का। पति पत्नी गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए होते हैं। इनके पारस्परिक कामों और विचारों में सामंजस्य नहीं हुआ तो गृहस्थी की गाड़ी ठप्प पड़ जाती है।
रहीम कहते हैं, पति पत्नी को कभी विपरीत दिशाओं में नहीं चलना चाहिए। यदि मनोवांछित सिद्धियां पाने के लिए पुरूष भूत प्रेतों को पूजे और स्त्री रघुनाथ राम को तो यह विपरीत वैचारिकता बड़ी घातक सिद्ध होती है। इस प्रकार दोनों भैंस व बैल का जोड़ा बनते हैं, जो गृहस्थी की गाड़ी को अपने गंतव्य तक पहुंचाने में असमर्थ होते हैं।
रहिमन अंसुआ नैन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ।
जाहि निकारो गेह ते, कस न भेद कह देह।।
Rahiman ansua nayan dhari, jiy dukh pragat karei
Jahi nikaaro geh te, kas na bhed kah dei
अर्थात (Meaning in Hindi): हदय में जो घनीभूत पीड़ा छाई होती है, वह आंसू बनकर छलकर पड़ती है और चित्त का सारा भेद प्रकट कर देती है। अतः व्यक्ति को धैर्यवान होना चाहिए। उसे दुर्दिनों में भी आंसू पीने की क्षमता रखनी चाहिए और उसे मन का भेद किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। वस्तुतः आंसू देखकर कोई दुख बांटने नहीं आता, बल्कि लोगों पर मन की क्षीणता प्रकट हो जाती है और वह उपहास का पात्र बन जाता है।
रहीम कहते हैं, यह सच है कि आंखों से आंसू छलकते हैं तो हदय का दर्द प्रकट कर ही देते हैं। किंतु मन का भेद जग जाहिर करना हानिप्रद है। कोई भी उसका अनुचित लाभ उठा सकता है। चुगलखोर आंसू ठीक उसी पारिवारिक सदस्य की तरह होते हैं, जिसे घर से निकाल दिया जाए तो वह घर का भेद अवश्य सबको बता देता है।
रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय।।
Rahiman nij sampati bina, kou na bipati sahaay
Binu pani jyon jalaj ko, nahin ravi sakai bachaay
अर्थात (Meaning in Hindi): सदैव अपने बाहुबल पर भरोसा करना चाहिए। कोई दूसरा किसी के लिए हाथ पैर नहीं चलाता। दुर्दिन में किसी से सहायता की आशा रखना व्यर्थ है। अपनी सहायता आप करके ही दुर्दिनों से उबरा जा सकता है। यदि संचित संपत्ति है तो संकटकाल में वही काम आती है। दूसरों से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि संकट में वह वित्तीय सहायता देगा।
रहीम कहते हैं, आपदाओं और विपदाओं से घिरा हुआ वही व्यक्ति उबर नहीं पाता, जो दूसरों की मदद की प्रत्याषा में बैठा रहता है। हमेशा खुद पर भरोसा रखना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि अपने पास समय-असमय में हमेशा थोड़ा बहुत धन होना चाहिए, क्योंकि निज संपत्ति के बिना विपत्ति में कोई सहायक नहीं। यदि संपत्ति है तो दूसरों की सहायता भी सहज ही उपलब्ध होती है। कमल पानी में खिलता है तो सूर्य उसे विकसित करता है किंतु यदि पानी ही सूख जाए तो सूर्य भी उसे बचा नहीं पाता।
25 Important परीक्षा में पूछे जाने वाले रहीम के दोहे :
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं और विद्यालयी परीक्षाओं में रहीम के दोहे संबन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें मार्क्स लाना आसान होता है किन्तु सही जानकारी और अभ्यास के अभाव में अक्सर विद्यार्थी रहीम के दोहों के प्रश्न में अंक लाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। हमने प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले रहीम के दोहों को अर्थ एवं व्याख्या सहित संग्रहीत किया है जिनका अभ्यास करके आप पूर्ण अंक प्राप्त कर सकते हैं।
- Rahim ke dohe रहिमन तब तक ठाहरय, मानः मान सम्मान
- Rahim ke dohe संसि की सीतल चादनी, सुंदर सबहिं सहाय
- Rahim ke dohe रहिमन कबहुं बड़ेन के, नाहि गर्व को लेस
- Rahim ke dohe बढ़त रहीम धनाढ्य घन, घनी घनी को जाइ।
- Rahim ke dohe रहिमन एक दिन वे रहे, बाच न सोहत हार।
- Rahim ke dohe रहिमन तीन प्रकार ते, हित अनहित पहिचानि।
- Rahim ke dohe राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि।
- Rahim ke dohe समय दसा कुल देखि कै, सबै करत सनमान।
- Rahim ke dohe रहिमन अपने गोत को, सबै चहत उत्साह।
- Rahim ke dohe रहिमन खोजै ऊख में, जहां रसन की खानि।
- Rahim ke dohe समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।
- Rahim ke dohe बड़ माया को दोष यह, जो कबहूं घटि जाय।
- Rahim ke dohe बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
- Rahim ke dohe कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।
- Rahim ke dohe रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय।
- Rahim ke dohe रहिमन यों सुख होत है, बढ़त देखि निज गोत।
- Rahim ke dohe रहिमन अब वे बिरछ कहं, जिनकी छांह गंभीर।
- Rahim ke dohe जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
- Rahim ke dohe रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुंह स्याह।
- Rahim ke dohe रहिमन गली है सांकरी, दूजो ना ठहराहिं।
- Rahim ke dohe रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe रहिमन बहु भेषज करत, ब्याधि न छांड़त साथ।
- Rahim ke dohe बसि कुसंग चाहै कुसल, यह रहीम जिय सोस।
- Rahim ke dohe मान सहित विष खाय के, संभु भये जगदीस।