Indra Ka vahan safed hathi Eravat
आजकल सफेद हाथी तो बहुत कम पाए जाते हैं। मनुष्यों ने इनका कत्लेआम कर दिया है इनकी चर्बी और हाथी दांत के लिए। यह लगभग लुप्तप्राय है।
![Indra Ka vahan safed hathi Eravat](https://hindivarta.com/wp-content/uploads/2016/05/Indra-Ka-vahan-safed-hathi-Eravat.jpg)
महाभारत, भीष्मपर्व के अष्ट्म अध्याय में भारतवर्ष से उत्तर के भू-भाग को उत्तर कुरु के बदले ‘ऐरावत’ कहा गया है। जैन साहित्य में भी यही नाम आया है। यह उत्तर कुरु दरअसल उत्तरी ध्रुव में स्थित था। संभवत: वहां प्राचीनकाल में इस तरह के हाथी होते होंगे जो बहुत ही सफेद और चार दांतों वाले रहे होंगे। वैज्ञानिक कहते हैं कि लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व उत्तरी ध्रुव पर बर्फ नहीं बल्कि मानव आबादी आबाद रहती थी।
हाथी तो सभी अच्छे और सुंदर नजर आते हैं लेकिन सफेद हाथी को देखना अद्भुत है। ऐरावत सफेद हाथियों का राजा था। ‘इरा’ का अर्थ जल है अत: ‘इरावत’ (समुद्र) से उत्पन्न हाथी को ‘ऐरावत’ नाम दिया गया है। हालांकि इरावती का पुत्र होने के कारण ही उनको ‘ऐरावत’ कहा गया है।
यह हाथी देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के दौरान निकली 14 मूल्यवान वस्तुओं में से एक था। मंथन से प्राप्त रत्नों के बंटवारे के समय ऐरावत को इन्द्र को दे दिया गया था। 4 दांतों वाला सफेद हाथी मिलना अब मुश्किल है।
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महाभारत, भीष्म पर्व के अष्टम अध्याय में भारतवर्ष से उत्तर के भू-भाग को उत्तर कुरु के बदले ‘ऐरावत’ कहा गया है। जैन साहित्य में भी यही नाम आया है। उत्तर का भू-भाग अर्थात तिब्बत, मंगोलिया और रूस के साइबेरिया तक का हिस्सा। हालांकि उत्तर कुरु भू-भाग उत्तरी ध्रुव के पास था संभवत: इसी क्षेत्र में यह हाथी पाया जाता रहा होगा।
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