गर्मी हो या ठंड या कोई पर्व देश की पुलिस जनता की सुरक्षा और सेवा के लिये हमेशा ही तात्पर्य रहती है,आज हम आपको बताते है कि, क्यों पुलिस के वर्दी का रंग खाकी होती है.बात उस समय कि जब अंग्रेजी हुकूमत के समय पहली बार भारतीय पुलिस की भर्ती के लिये पहला एग्जाम सन 1893 में इंग्लैंड में कराए गए थे |
इस एग्जाम से चुने गए अफसरों को प्रोबेशन पीरियड पर रखा गया था। उसके 14 सालों के लंबे अंतराल के बाद 1907 में अंग्रेज़ सरकार ने भारतीय पुलिस का गठन किया था | इसी में चुने गए टॉप टेन कैंडिडेट्स इंडियन इम्पीरियल पुलिस का हिस्सा बने। जिसे आजादी के बाद सन् 1948 में बदला गया।
भारतीय पुलिस के वर्दी का रंग खाकी इसलिए रखा गया, क्योंकि खाकी रंग पर धूल और गर्दे नही दिखती | खाकी रंग की खोज भी अंग्रेजी सरकार ने की | क्योंकि उनकी सफ़ेद वर्दी धूल और गर्दे की वजह से जल्द ही गन्दी हो जाती थी जिसकी वजह से अंग्रेज़ो ने अपनी वर्दी को अलग-अलग रंगों से डाय करने शुरू कर दिया था |
तब अंग्रेजों ने खाक नाम की डाय का अविष्कार किया। जिसे सन् 1847 में सर हैरी बरनेट लम्सडैन द्वारा ऑफिशियल रूप से भारतीय पुलिस का हिस्सा बना दिया गया।
जबकि कोलकाता की पुलिस अब भी सफेद रंग की वर्दी पहनती है! खाकी से अलग कोलकाता पुलिस सिर्फ सफेद रंग की वर्दी में नजर आती है। जबकि वेस्ट बंगाल के दूसरे हिस्सों में वर्दी का रंग खाकी ही है।
1720 में कोलकाता की पुलिस को जनता और क्राइम की देखरेख के लिए बनाया गया था। जो जमींदारों के अंतर्गत आती थी। काफी बाद इसमें बदलाव किए गए। तब कमिश्नर ऑफ पुलिस भी अपॉइंट किए गए। इसलिए इस पुलिस फोर्स को कोलकाता के इतिहास का हिस्सा माना जाता है। इसी कारण ना इस पुलिस फोर्स के नियम बदले गए हैं, और ना ही ड्रेस।