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Samvad Lekhan गर्मी के मौसम में पानी के संकट पर दो मित्रों के बीच संवाद- संवाद लेखन

Garmi ke mausam mein pani ke sankat par do mitraon ke beech samvad – Samvad Lekhan

किशोर : उमेश, कितनी समस्या है कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी का संकट शुरू हो जाता है।

उमेश : हाँ मित्र, हमारे क्षेत्र में भी एक दिन छोड़कर पानी आ रहा है और वह भी एक घंटा सुबह और एक घंटा शाम को।

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किशोर : यहाँ भी यही हाल है। अब इतने से समय में कैसे दो दिन के लिए पानी भरा जाय? गर्मी के मौसम में तो वैसे ही अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

उमेश : यही तो बात है। ऊपर से लोग उसमे भी पानी खींचने की मोटर शुरू कर देते हैं। जिससे कई लोगों को तो पानी मिल ही नहीं पाता और न जाने कहाँ-कहाँ से पानी भरकर लाना पड़ता है।

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किशोर : ऐसे लोगों पर तो कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।

उमेश : बिलकुल सही कहा मित्र। ऐसे संकट में कोई तो अपनी पानी की टंकियाँ भर कर रख लेता है और कोई बूँद-बूँद को तरसता रहता।

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किशोर : जहाँ पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है वहाँ तो कुछ लोग पानी को फ़ालतू बहाते हैं। इतना भी नहीं सोचते की इस पानी से ही जीवन है।

उमेश : यदि लोग पानी का सदुपयोग करें तो पानी का इतना संकट ही क्यों झेलना पड़े?

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