ताजमहल भारतवर्ष का ताज है। विश्व के सात आश्चर्यों में से ताजमहल एक है। विश्व के प्रत्येक कोने से प्रतिदिन लोग ताजमहल देखने भारत आते हैं। ताजमहल देशी विदेशी दोनों पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है। सफेद संगमरमर से निर्मित ताजमहल कारीगरी का एक अनुपम नमूना है।
ताजमहल आगरा शहर से पाँच छः किलोमीटर दूर स्थित है। यमुना नदी ताजमहल के पीछे बहकर निरन्तर इसके रूप का पान करती है।
मुगल सम्राट अकबर के पोते बादशाह जहाँगीर के बेटे शाहजहाँ ने ताजमहल को बनवाया था। शाहजहाँ की प्रेमिका और बेगम का नाम मुमताज था। जहाँ आज ताजमहल स्थित है कभी वहाँ घने पेड़ों का झुरमुट था। एक दिन मुमताज ने अपने पति शाहजहाँ से कहा कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी यादगार यहीं पर बनवाना। मुमताज की मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने अपनी कल्पना और कारीगरों की सहायता से ताजमहल बनवाया।
ताजमहल सुन्दरता का अद्भूत नमूना है। इसकी चार भव्य और ऊँची ऊँची मीनारें हैं। मुख्य गुम्बद बहुत बड़ा है। गुम्बद के नीचे मुमताज महल और शहंशाह की असली कब्रें हैं। संगमरमर के इस खूबसूरत विशाल स्मारक से नजरें उठाना कठिन हो जाता है।
ताजमहल की मुख्य इमारत के चारों ओर भी सौन्दर्य बिखरा पड़ा है। सामने जिसमें दोनों ओर फव्वारे लगे हुये हैं। हरे भरे लान और मखमली घास है। ऊँचे वृक्षों की ठंडी छाँव में बैठ कर ताजमहल को देखते हुए मन कहीं खो जाता है या फिर कविता करने को करता है।
लोग कहते हैं- शाहजहाँ ने 20 वर्ष काम करके ताजमहल बनाने वाल मजदूरों के हाथ काट दिये थे ताकि वह पुनः इसके जैसी सुन्दर एवं अद्भूत इमारत न बना सकें।
शाहजहाँ ने अपने महल की खिड़की में से ताजमहल को देखने के लिये गुम्बद में इस कोण से शीशे लगवाये कि वह चार मील दूर से भी अपनी बेगम की यादगार को जब चाहें देख सकें। चाँदनी रात की दूधिया चाँदनी में नहाया संगमरमरी ताजमहल और अधिक निखर जाता है। ताजमहल प्रेम और पवित्र स्मृतियों का अमर प्रतीक है।