होली पर लेख
होली रंगों का त्योहार है। यह प्रायः पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। प्रकृति भी एक तरह से इस त्योहार में सम्मिलित होती है। चारों ओर रंग बिरंगे फूल बिखेर कर बसंत ऋतु खुशियां लुटाती है। यह त्योहार मौसम और रंगों के अनुकूल होता है।
होली का त्योहार फाल्गुन की पूर्णमासी को मनाया जाता है। इसी कारण इसे फाग भी कहते हैं। पूर्णमासी से एक दिन पहले रात को लोग होली जलाते हैं और उसमें गेहूं की बालें तथा चने के छोले भुनते हैं। वातावरण में मस्ती फैली रहती है। रंगों और संगीत का उन्माद लोगों को उत्साह और उमंग से भर देता है।
होली के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। एक राजा हिरण्यकष्यप था। जो चाहता था- सभी उसे भगवान मानकर उसकी पूजा करें। उनका पुत्र प्रह्लाद उन्हें ईश्वर नहीं मानता था। बहुत समझाने पर भी वह नहीं समझा तो उन्होंने उसे मारने के कई उपाय किये, पर वह नहीं मरा। हिरण्यकष्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वर मिला हुआ था। होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गयी। ईश्वर की कृपा से होलिका जल गयी और प्रह्लाद सकुशल बच गया। इसी की याद में होली जलायी जाती है।
होली के अवसर पर किसानों की फसल पक जाती है अतः लहलहाती फसलें देखकर वे खुशी से झूम उठते हैं और आग में अनाज की बालों को भूनकर खाते एवं खिलाते हैं।
अगले दिन सुबह अर्थात दुलहंडी के दिन होली खेली जाती है। सब लोग वैर विरोध भूल कर एक दूसरे के गले मिलते हैं, मिठाइयां खाते और खिलाते हैं तथा प्यार के रंगों में रंग जाते हैं। सभी एक दूसरे पर रंग डालते और गुलाल मलते हैं। रंगों से सराबोर लोगों को हंसते गाते देखकर हर व्यक्ति होली के रंग में रंग जाता है। गुंजिया और तरह तरह की मिठाइयों से वातावरण में मिठास घुल जाती है।
अतः होली वह त्योहार है जो आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। और हम इस दिन की पवित्रता को प्रेम और भाईचारे से ही सुरक्षित रख सकते हैं।