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दुष्यंत कुमार Shayari in Hindi अब तो पथ यही है

Dushyant Kumar shayari – Ab To Path Yahii Hai

जिंदगी ने कर लिया स्वीकार,
अब तो पथ यही है|

अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है,
एक हलका सा धुंधलका था कहीं, कम हो चला है,
यह शिला पिघले न पिघले, रास्ता नम हो चला है,
क्यों करूँ आकाश की मनुहार ,
अब तो पथ यही है |

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क्या भरोसा, कांच का घट है, किसी दिन फूट जाए,
एक मामूली कहानी है, अधूरी छूट जाए,
एक समझौता हुआ था रौशनी से, टूट जाए,
आज हर नक्षत्र है अनुदार,
अब तो पथ यही है|

यह लड़ाई, जो की अपने आप से मैंने लड़ी है,
यह घुटन, यह यातना, केवल किताबों में पढ़ी है,
यह पहाड़ी पाँव क्या चढ़ते, इरादों ने चढ़ी है,
कल दरीचे ही बनेंगे द्वार,
अब तो पथ यही है |

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Dushyant Kumar Poetry – Ab To Path Yahii Hai

jindagii ne kar liyaa sviikaar,
ab to path yahii hai.

ab ubharate jvaar kaa aaveg maddhim ho chalaa hai,
ek halakaa saa dhundhalakaa thaa kahiin, kam ho chalaa hai,
yah shilaa pighale n pighale, raastaa nam ho chalaa hai,
kyon karoon aakaash kii manuhaar ,
ab to path yahii hai .

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kyaa bharosaa, kaanch kaa ghat hai, kisii din foot jaae,
ek maamoolii kahaanii hai, adhoorii chhoot jaae,
ek samajhautaa huaa thaa raushanii se, toot jaae,
aaj har naksatr hai anudaar,
ab to path yahii hai.

yah ladaaii, jo kii apane aap se mainne ladii hai,
yah ghutan, yah yaatanaa, keval kitaabon men padhii hai,
yah pahaadii paanv kyaa chadhte, iraadon ne chadhii hai,
kal dariiche hii banenge dvaar,
ab to path yahii hai .

Dushyant Kumar– Ab To Path Yahii Hai (in Urdu)

جِںدَگِی نے کَرَ لِیا سْوِیکارَ،
اَبَ تو پَتھَ یَہِی ہَے|

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اَبَ اُبھَرَتے جْوارَ کا آویگَ مَدّھِمَ ہو چَلا ہَے،
ایکَ ہَلَکا سا دھُںدھَلَکا تھا کَہِیں، کَمَ ہو چَلا ہَے،
یَہَ شِلا پِگھَلے نَ پِگھَلے، راسْتا نَمَ ہو چَلا ہَے،
کْیوں کَرُوں آکاشَ کِی مَنُہارَ ،
اَبَ تو پَتھَ یَہِی ہَے |

کْیا بھَروسا، کاںچَ کا گھَٹَ ہَے، کِسِی دِنَ پھُوٹَ جائے،
ایکَ مامُولِی کَہانِی ہَے، اَدھُورِی چھُوٹَ جائے،
ایکَ سَمَجھَوتا ہُءآ تھا رَوشَنِی سے، ٹُوٹَ جائے،
آجَ ہَرَ نَکْشَتْرَ ہَے اَنُدارَ،
اَبَ تو پَتھَ یَہِی ہَے|

یَہَ لَڑائی، جو کِی اَپَنے آپَ سے مَیںنے لَڑِی ہَے،
یَہَ گھُٹَنَ، یَہَ یاتَنا، کیوَلَ کِتابوں میں پَڑھِی ہَے،
یَہَ پَہاڑِی پاںوَ کْیا چَڑھَتے، اِرادوں نے چَڑھِی ہَے،
کَلَ دَرِیچے ہِی بَنیںگے دْوارَ،
اَبَ تو پَتھَ یَہِی ہَے |

Dushyant Kumar– Ab To Path Yahii Hai (in Punjabi)

ਜਿੰਦਗੀ ਨੇ ਕਰ ਲਿਯਾ ਸ੍ਵੀਕਾਰ,
ਅਬ ਤੋ ਪਥ ਯਹੀ ਹੈ|

ਅਬ ਉਭਰਤੇ ਜ੍ਵਾਰ ਕਾ ਆਵੇਗ ਮਦ੍ਧਿਮ ਹੋ ਚਲਾ ਹੈ,
ਏਕ ਹਲਕਾ ਸਾ ਧੁੰਧਲਕਾ ਥਾ ਕਹੀੰ, ਕਮ ਹੋ ਚਲਾ ਹੈ,
ਯਹ ਸ਼ਿਲਾ ਪਿਘਲੇ ਨ ਪਿਘਲੇ, ਰਾਸ੍ਤਾ ਨਮ ਹੋ ਚਲਾ ਹੈ,
ਕ੍ਯੋੰ ਕਰੂ ਆਕਾਸ਼ ਕੀ ਮਨੁਹਾਰ ,
ਅਬ ਤੋ ਪਥ ਯਹੀ ਹੈ |

ਕ੍ਯਾ ਭਰੋਸਾ, ਕਾੰਚ ਕਾ ਘਟ ਹੈ, ਕਿਸੀ ਦਿਨ ਫੂਟ ਜਾਏ,
ਏਕ ਮਾਮੂਲੀ ਕਹਾਨੀ ਹੈ, ਅਧੂਰੀ ਛੂਟ ਜਾਏ,
ਏਕ ਸਮਝੌਤਾ ਹੁਆ ਥਾ ਰੌਸ਼ਨੀ ਸੇ, ਟੂਟ ਜਾਏ,
ਆਜ ਹਰ ਨਕ੍ਸ਼ਤ੍ਰ ਹੈ ਅਨੁਦਾਰ,
ਅਬ ਤੋ ਪਥ ਯਹੀ ਹੈ|

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ਯਹ ਲਡਾਈ, ਜੋ ਕੀ ਅਪਨੇ ਆਪ ਸੇ ਮੈੰਨੇ ਲਡੀ ਹੈ,
ਯਹ ਘੁਟਨ, ਯਹ ਯਾਤਨਾ, ਕੇਵਲ ਕਿਤਾਬੋੰ ਮੇੰ ਪਢੀ ਹੈ,
ਯਹ ਪਹਾਡੀ ਪਾਵ ਕ੍ਯਾ ਚਢਤੇ, ਇਰਾਦੋੰ ਨੇ ਚਢੀ ਹੈ,
ਕਲ ਦਰੀਚੇ ਹੀ ਬਨੇੰਗੇ ਦ੍ਵਾਰ,
ਅਬ ਤੋ ਪਥ ਯਹੀ ਹੈ |

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