Droupadi Ne Satyabhama Ko Bataye The Safal Aur Sukhi Shaadishuda Jivan Ke Sutra
द्रुपद नरेश की पुत्री द्रौपदी का विवाह यूं तो अर्जुन से हुआ था लेकिन मां की आज्ञा को टाल ना पाने की स्थिति में पांचों पांडवों ने द्रौपदी को अपनी पत्नी स्वीकार किया। इस तरह द्रौपदी आजीवन पांचों पांडवों की पत्नी बनकर रही।
वेद व्यास ने इस विवाह से जुड़ी कुछ शर्ते निश्चित की, जिनका पालन करना द्रौपदी समेत सभी पांडवों के लिए अनिवार्य था। आगे की कहानी द्रौपदी और उनके सभी पांडवों के साथ संबंध से जुड़ी है।
वनवास के दौरान द्रौपदी और सभी पांडव वृक्ष की छाया में विश्राम कर रहे थे कि तभी अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ श्रीकृष्ण वहां पहुंचे। श्रीकृष्ण, पांडवों के साथ वार्तालाप में व्यस्त हो गए, ऐसे में दोनों स्त्रियां गपशप करने के उद्देश्य से अलग स्थान पर बैठ गईं।
बातों ही बातों में सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि वह कैसे अपने पांचों पतियों को समान रूप से खुद से जोड़कर रखती हैं, कैसे वे उन सभी को एक अच्छा विवाहित जीवन दे पाती हैं? सत्यभामा की जिज्ञासा को शांत करने और उनके सभी प्रश्नों के उत्तर देने के उद्देश्य से द्रौपदी ने उन्हें सफल विवाहित जीवन के कुछ सूत्र बताने शुरू किए, जो हम आपको बताने जा रहे हैं।
द्रौपदी ने कहा था कि अगर पति-पत्नी, एक दूसरे के साथ संतुष्ट और खुशहाल रहना चाहते हैं तो दोनों के बीच में किसी भी तरह की ईर्ष्या जैसी भावना नहीं होनी चाहिए। दोनों को ही अपने साथी के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और अपने अहम को संबंध से दूर रखना चाहिए।
द्रौपदी ने सत्यभामा को बताया कि स्त्री को कभी अपने पति पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बहुत सी स्त्रियां अपने पति की हर हरकत पर नजर रखने की कोशिश करती हैं, निश्चित रूप से ये उनके संबंध पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
पति के साथ-साथ पति के परिवार की भी हर जरूरत का ध्यान रखना चाहिए। जो महिलाएं अपने ससुराल के हर व्यक्ति की जरूरत को पूरा करने की कोशिश करती हैं, उसका पति भी उससे खुश रहता है।
विवाह के पश्चात महिला को अपनी संगत भी सही रखनी चाहिए। उसे चरित्रहीन या झगड़ालू स्त्रियों का साथ छोड़ देना चाहिए। अन्यथा परिणाम के रूप में उसका विवाहित संबंध भी टूट सकता है।
परिवार में रहते हुए पति या पत्नी, दोनों को ही एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। किसी को भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए और साथी की हर जरूरत का ध्यान रखना चाहिए।
अगर पति-पत्नी, दोनों एक-दूसरे का ध्यान रखेंगे तो इससे उनके बीच प्रेम और अपनेपन की भावना में बढ़ोत्तरी होगी और विवाहित संबंध मजबूत होगा।
विवाह के पश्चात स्त्री को अपने क्रोध को नियंत्रित रखना चाहिए और साथ ही किसी भी अंजान शख्स के साथ खुलकर बातचीत नहीं करनी चाहिए, जो महिलाएं ऐसा करती हैं समाज में उनकी छवि बिगड़ जाती है।
द्रौपदी के अनुसार एक सुखद विवाहित जीवन की सबसे पहली शर्त ये है कि पति को अपनी पत्नी की हर जरूरत को पूरा करना चाहिए, उसे संतुष्ट रखना चाहिए। लेकिन इसके साथ-साथ पत्नी को भी चाहिए कि वे अपने पति से अनैतिक इच्छाएं ना रखे। पति को किसी भी हाल में अपनी पत्नी को एक अच्छा जीवन देने की कोशिश करनी चाहिए और साथ ही साथ उसकी सेहत का भी सही ध्यान रखना चाहिए।
द्रौपदी के बताए गए उपरोक्त सूत्र एक सुखद विवाहित जीवन के लिए जरूरी हैं, इसीलिए हर स्त्री और पुरुष को इस सूत्रों को अपनाना चाहिए।