Devtaon par gahne kyon chadhate hain?
देवी देवता पर आभूषण चढ़ाए जाने का विशेष महत्व है। पूजा में स्वर्ण आभूषण ही चढ़ाए जाते हैं। यह धन, संपदा तथा सौंदर्य के प्रतीक है। ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं।
स्वर्ण आत्मा का प्रतीक है जिस तरह आत्मा अजर अमर शुद्ध है, उसी प्रकार स्वर्ण हर काल में शुद्ध है। भाव यह है कि हम आभूषण के रूप में अपनी आत्मा को देवता के चरणों में समर्पित कर रहे हैं।
यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। स्वर्ण को पहनने एवं छूने से शरीर में तेज की वृद्धि होती है, चर्म रोग नहीं होते तथा शरीर में कांति आती है। स्वर्ण धाक, स्वर्ण भस्म, शक्ति वर्धक टानिक एवं औषधियों में प्रयोग होती है। श्वास, कफ, नपुसंकता, शीघ्र वीर्यपात, टी बी आदि रोगों को दूर करने में यह प्रयोग होती है।
ऐसी मान्यता है कि जिस घर में स्वर्ण होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है तथा धन, धान्य का अभाव नहीं रहता। स्वर्णाभूषण पहनने वाली महिला के पास दरिद्रता नहीं आती।
जिस तरह स्वर्ण मूल्यवान है। हमारा शरीर भी मूल्यवान है। स्वर्ण की तरह मूल्यवान हमारा यह शरीर भगवान को समर्पित हो यही भावना रहती है। स्वर्ण को छूते ही शरीर में सुरक्षा, तेज स्वास्थ्या की वृद्धि होती है।