अब कितना मुस्कुरा कर दर्द को छुपाऊ
अपने ग़मो में बस यूँ ही ऐसे खो जाऊं
सहन नहीं होता ज़िन्दगी तेरे दूरियों का मंज़र
बता कोई ऐसी जगह जहाँ तनहा ही जा के रो आऊं
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