Chanakya Neeti – Mrityu par Chanakya ke Anmol Vichar (Chankya’s Quote on Death)
धर्मार्थकाममोश्रेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते। जन्म जन्मानि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्॥
जिस मनुष्य को धर्म, काम-भोग, मोक्ष में से एक भी वस्तु नहीं मिल पाती, उसका जन्म केवल मरने के लिए ही होता है
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः। ससर्पे गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः॥
दुष्ट पत्नी , शठ मित्र , उत्तर देने वाला सेवक तथा सांप वाले घर में निवास करना , ये मृत्यु के कारण हैं इसमें सन्देह नहीं करना चाहिए ।
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसण्कटे। राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः ॥
बीमार होने पर, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में तथा मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने वाला व्यक्ति सच्चा मित्र और बन्धु है ।
यावत्स्वस्थो ह्यय देहः तावन्मृत्युश्च दूरतः। तावदात्महितं कुर्यात् प्रणान्ते किं करिष्यति॥
जब तक शरीर स्वस्थ है, तभी तक मृत्यु भी दूर रहती है । अतः तभी आत्मा का कल्याण कर लेना चाहिए । प्राणों का अन्त हो जाने पर क्या करेगा? केवल पश्चात्ताप ही शेष रहेगा ।
जन्ममृत्युर्नियत्येको भुनक्तयेकः शुभाशुभम्। नरकेषु पतत्येकः एको याति परां गतिम्॥
व्यक्ति संसार में अकेला ही जन्म लेता है, अकेला ही मृत्यु को प्राप्त करता है, अकेला ही शुभ-अशुभ कामों का भोग करता है, अकेला ही नरक में पड़ता है तथा अकेला ही परमगति को भी प्राप्त करता है ।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च। व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च॥
घर से बाहर विदेश में रहने पर विद्या मित्र होती है , घर में पत्नी मित्र होती है , रोगी के लिए दवा मित्र होती है तथा मृत्यु के बाद व्यक्ति का धर्म ही उसका मित्र होता है |
जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम्। मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः॥
जो मनुष्य अपने जीवन में कोई भी अच्छा काम नहीं करता, ऐसा धर्महीन मनुष्य ज़िंदा रहते हुए भी मरे के समान है । जो मनुष्य अपने जीवन में लोगों की भलाई करता है और धर्म संचय कर के मर जाता है, वह मृत्यु के बाद भी यश से लम्बे समय तक जीवित रहता है ।