Kabir ke dohe मनहिं मनोरथ छांडी दे, तेरा किया न होइ संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi मनहिं मनोरथ छांडी दे, तेरा किया न होइ । पाणी मैं घीव नीकसै, तो [...]
Kabir ke dohe करता था तो क्यूं रहया, जब करि क्यूं पछिताय संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi! करता था तो क्यूं रहया, जब करि क्यूं पछिताय । बोये पेड़ बबूल का, [...]
Kabir ke dohe हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई । मुख तो तौ परि देखिए जे [...]
Kabir ke dohe मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै ।काहे की कुसलात कर दीपक कूंवै [...]
Kabir ke dohe कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi! कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार । हलके हलके तिरि गए बूड़े तिनि सर भार [...]
Kabir ke dohe मैं मैं मेरी जिनी करै, मेरी सूल बिनास संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi मैं मैं मेरी जिनी करै, मेरी सूल बिनास । मेरी पग का पैषणा मेरी [...]
Kabir ke dohe तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ । मन परतीति न उपजै, जीव [...]
Kabir ke dohe हू तन तो सब बन भया करम भए कुहांडि संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi हू तन तो सब बन भया करम भए कुहांडि । आप आप कूँ काटि [...]
Kabir ke dohe कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि । नंगे हाथूं ते गए [...]
Kabir ke dohe कबीर मंदिर लाख का, जडियां हीरे लालि संत कबीर के दोहे 2020-05-192020-06-10RituV Comment संत कबीर के दोहे Kabir ke dohe in Hindi कबीर मंदिर लाख का, जडियां हीरे लालि । दिवस चारि का पेषणा, बिनस जाएगा [...]