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क्यों भगवान के भोग में डाले जाते हैं तुलसी के पत्ते?

Bhagvan ke bhog mein Tulsi ke patte kyon dale jate hain?

हिन्दू धर्म में विभिन्न शास्त्रों में तुलसी की महान विशेषताएं बताएं गई हैं. ये विशेषताएं धार्मिक, वैज्ञानिक और औषधीय आधार पर वर्णित की गई हैं. भगवान को भोग लगे और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार तुलसी को विष्णु जी की प्रिय मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी डालकर भोग लगाने पर चार भार चांदी व एक भार सोने के दान के बराबर पुण्य मिलता है और बिना तुलसी के भगवान भोग ग्रहण नहीं करते, उसे अस्वीकार कर देते हैं।

Tulsi ko shubh aur pavitra kyon mante hainभगवान की कृपा से जो जल और अन्न हमें प्राप्त होता है। उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही भगवान को भोग लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भोग लगाने के बाद ग्रहण किया गया अन्न दिव्य हो जाता है, क्योंकि उसमें तुलसी दल होता है। भगवान को प्रसाद चढ़े और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। इसलिए भगवान को भोग लगाने के साथ ही उसमें तुलसी डालकर प्रसाद ग्रहण करने से भोजन अमृत रूप में शरीर तक पहुंचता है और ऐसी भी मान्यता है कि भगवान को प्रसाद चढ़ाने से घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते हैं और घर में कोई कमी नहीं आती है।

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तुलसी को भारतीय जनमानस में बड़ा पवित्र स्थान दिया गया है। यह लक्ष्मी व नारायण दोनों को समान रूप से प्रिय है। इसे ‘हरिप्रिया’ भी कहा गया है। बिना तुलसी के यज्ञ, हवन, पूजन, कर्मकांड, साधना व उपासना पूरे नहीं होते। यहां तक कि श्राद्ध, तर्पण, दान, संकल्प के साथ ही चरणामृत, प्रसाद व भगवान के भोग में तुलसी का होना अनिवार्य माना गया है।

भोग में तुलसी डालने के पीछे सिर्फ धार्मिक कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे अनेक वैज्ञानिक कारण भी हैं। तुलसी दल का औषधीय गुण है। एकमात्र तुलसी में यह खूबी है कि इसका पत्ता रोग प्रतिरोधक होता है। यानि कि ऐंटीबायोटिक। संभवतः भोग में तुलसी को अनिवार्य किया गया कि इस बहाने ही सही लोग दिन में कम से कम एक पत्ता ग्रहण करें ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। इस तरह तुलसी स्वास्थ्य देने वाली है। तुलसी का पौधा मलेरिया के कीटाणु नष्ट करता है।

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नई खोज से पता चलता है इसमें कीनोल, एक्सार्विक एसिड, केरोटिन और एल्केलाईड होते हैं। तुलसी पत्र मिला हुआ पानी पीने से कई रोग दूर हो जाते हैं। इसीलिए चरणामृत में तुलसी का पत्ता डाला जाता है। तुलसी के स्पर्श से भी रोग दूर होते हैं। तुलसी पर किए गए प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में यह लाभकारी है। इससे रक्तणों की वृद्धि होती है। तुलसी ब्रहमाचर्य की रक्षक एवं त्रिदोष नाशक है। रक्तविकार वायु, खांसी, कृमि आदि की निवारक है तथा हदय के लिए हितकारी है।

कार्तिक मास तुलसी पूजन के लिए पवित्र माना गया है। वैष्णव पूजा विधान में तुलसी पूजन-विवाह प्रमुख पर्व है। नियमित रूप से स्नान के पश्चात ताम्र पात्र से तुलसी को प्रात:काल में जल दिया जाता है और संध्याकाल में तुलसी के चरणों में दीपक जलाते हैं।

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तुलसी के पौधे का महत्व

– भूत-प्रेत में विश्वास करने वाले लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि घर में तुलसी का पौधा होने से इस तरह की बाधाएं जीवन में नहीं आएंगी. तुलसी के होने से भूत-प्रेत जैसे नकारात्मक प्रभाव आप पर नहीं पड़ेंगे. हिंदू धर्म में तुसली को पवित्र व धार्मिक पौधा माना जाता है.
– तुलसी के पौधे से जुड़े कुछ धार्मिक नियम भी हैं. तुलसी की पत्तियां कुछ खास दिनों में नहीं तोड़नी चाहिए. चंद्रग्रहण, एकादशी और रविवार के दिन तुलसी की पत्तियां न तोड़ें. सूर्यास्त के बाद भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
– माना जाता है कि भगवान कृष्ण के भोग में और सत्यनारायण की कथा के प्रसाद में तुलसी की पत्ती जरूर रखनी चाहिए. ऐसा नहीं करने से प्रसाद पूरा नहीं माना जाता.
– घर में तुलसी का पौधा होना शुभ होता है. इसके सामने रोज शाम को दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि‍ आती है.
– मान्यता है कि तुलसी होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती.

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वैज्ञानिक तौर पर तुलसी के फायदे हैं
– तुलसी दवा की तरह भी इस्तेमाल की जाती है. आपके घर के पीछे या घर में तुलसी होने से मच्छर और छोटे-छोटे कीड़े नहीं आते.
– रोज तुलसी की पत्ती खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. तुलसी में बीमारियों से लड़ने के गुण हैं. यह शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है.
– तुलसी की पत्तियां खाने से खून साफ रहता है. इससे आपकी त्वचा और बाल स्वस्थ रहते हैं.

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