Advertisement

ऑटो चालक से वायुयान चालक तक – प्रेरक कहानी

नागपुर के रहने वाले श्रीकांत पन्तवने, एक सिक्योरिटी गार्ड के पुत्र हैं और एक ऑटो रिक्शा चालक! आज भी श्रीकांत एक चालक हैं पर ऑटो के नहीं बल्कि हवाई जहाज के! आर्थिक बाधाओं के बावजूद लक्ष्य को प्राप्त करने की ये कहानी हम सब के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है !

inspiration
प्रतीकात्मक तस्वीर

श्रीकांत ने अपना करियर एक डिलीवरी बॉय के रूप में शुरू किया जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण करने की कोशिश थे! कुछ दिनों के बाद उन्होंने ऑटो चलाना शुरू किया! काफी काम उम्र से श्रीकांत पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाना शुरू कर दिया था! कठिन परिश्रम, अथक प्रयास और लगन के वजह से श्रीकांत ने हर बाधा को पार किया और आज खुद को एक मिसाल के तौर पर प्रस्तुत किया

Advertisement

एक दिन की बात है श्रीकांत एयरपोर्ट पार्सल डिलीवर करने गए थे जहां उनकी वार्ता कुछ कैडेट्स से हुई जहाँ उन्हें पता चला की बिना भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए भी कोई वायुयान उड़ा सकता है! बहार बैठे एक चायवाले से उन्हें DGCA की पायलट छात्रवृति प्रोग्राम के बारे में बारे में पता चला! ये श्रीकांत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था!

उसी दिन उन्होंने बारह्वी कक्षा की किताबों की पढाई करनी शुरू कर दी! साथ ही साथ उन्होंने छात्रवृति परीक्षा की भी तयारी करी ! अच्छे अंकों के पास होने के पश्चात् उन्होने मध्य प्रदेश के एक फ्लाइट स्कूल में दाखिला लिया!

Advertisement

अब श्रीकांत के पास सिर्फ एक समस्या थी ! उनके अंग्रेजी का ज्ञान जो की नगण्य था ! उन्हें अंग्रेजी बोलनी नहीं आती थी पर उन्होंने हार नहीं मानी, श्रीकांत ने अपने दोस्तो की मदद ली जो अच्छे स्कूल से पढ़े थे ! उनके साथ लगातार अंग्रेजी बोलने का अभ्यास किया! अंततः मेहनत रंग लायी ! श्रीकांत ने व्यावसायिक वायुयान चालक के परीक्षा उत्तीर्ण कर ली और अब उनके पास एक वायुचालक का लाइसेंस था!

पर वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से अबतक उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली थी! परिवार की आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने एक कंपनी में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की नौकरी ज्वाइन कर ली पर आँखों में अब भी वायुयान उड़ाने के सपने ज़िंदा थे !

Advertisement

दो महीने बाद आखिर वो दिन आ ही गया जिसका श्रीकांत को बेसब्री से इंतज़ार था! ये एक कॉल थी- इंडिगो एयरलाइन्स से, जहां श्रीकांत को बतौर फर्स्ट अफसर की नौकरी दी गयी थी !

श्रीकांत कल भी एक तिपहिया चलाते थे और आज भी एक तिपहिया चलाते हैं ! फर्क बस इतना है की आज वो तिपहिया एक वायुयान है!

हम श्रीकांत की परिश्रम एवं लगन को नमन करते हैं !

Advertisement

यह कहानी एक वास्तविक जीवन कथा है!

साभार – Indatimes

Advertisement