निगाहें 2018-07-102019-07-11Roshan Singh Comment निगाहें तेरी बेगानी थी, नज़रें मैं मिलाया करता था संवरते थे तुम औरों के लिए, आईना मैं दिखाया करता था ना जाने कब [...]
मेरी और तेरी 2018-03-13Roshan Singh सुबह ए बनारस मेरी अवध तेरी शाम होगी| पूरी ज़िंदगानी मेरी तेरे ही नाम होगी|| गर तू साथ चला मेरे तो ठीक वरना [...]
तेरी आरज़ू 2018-03-102018-03-10Roshan Singh गर ना तारीफ तेरी होती, ना फिर मज़ाक मेरा होता गर ना ज़मीं तेरी होती, ना फिर आसमाँ मेरा होता कट जाते ज़िन्दगी [...]
कहाँ जाऊं ? 2018-03-102018-03-10Roshan Singh अब कितना मुस्कुरा कर दर्द को छुपाऊ अपने ग़मो में बस यूँ ही ऐसे खो जाऊं सहन नहीं होता ज़िन्दगी तेरे दूरियों का [...]
वो… 2018-03-10Roshan Singh इस तरह हमसे, वो जुदा हो गए । जैसे इंसान नहीं, वो खुदा हो गए ।। Advertisement [...]
वीमेन्स डे 2018-03-08Roshan Singh माँ भी तू, बेटी भी तू, तू ही बहन, महबूब भी तू| तू ही दुनिया का आधार है ॥ धुप भी तू , [...]
अच्छा नहीं लगता 2018-03-062019-07-10Roshan Singh तेरा यूँ रूठ कर जाना अच्छा नहीं लगता मेरा यूँ महफ़िल बिठाना अच्छा नहीं लगता जहाँ भी हो चले आओ मै तन्हा ही [...]
ऐ मौला 2018-03-042019-07-10Roshan Singh नफरत की उमर मौला तू क्यूँ लम्बी बनाता है किसी एक को मनाऊ तो दूजा रूठ जाता है ये धरती तो तेरी है [...]