Author
Roshan Singh

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निगाहें

निगाहें तेरी बेगानी थी, नज़रें मैं मिलाया करता था संवरते थे तुम औरों के लिए, आईना मैं दिखाया करता था ना जाने कब [...]
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मेरी और तेरी

सुबह ए बनारस मेरी अवध तेरी शाम होगी| पूरी ज़िंदगानी मेरी तेरे ही नाम होगी|| गर तू साथ चला मेरे तो ठीक वरना [...]
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तेरी आरज़ू

गर ना तारीफ तेरी होती, ना फिर मज़ाक मेरा होता गर ना ज़मीं तेरी होती, ना फिर आसमाँ मेरा होता कट जाते ज़िन्दगी [...]
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कहाँ जाऊं ?

अब कितना मुस्कुरा कर दर्द को छुपाऊ अपने ग़मो में बस यूँ ही ऐसे खो जाऊं सहन नहीं होता ज़िन्दगी तेरे दूरियों का [...]
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वो…

इस तरह हमसे, वो जुदा हो गए । जैसे इंसान नहीं, वो खुदा हो गए ।। Advertisement [...]
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ऐ मौला

नफरत की उमर मौला तू क्यूँ लम्बी बनाता है किसी एक को मनाऊ तो दूजा रूठ जाता है ये धरती तो तेरी है [...]