Atal Bihari Vajpaye par nibandh
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को शिन्दे की छावनी (मध्य प्रदेश) में हुआ था, इनके पिता जी का नाम कृष्ण बिहारी वाजपयी था और माता जी का नाम कृष्ण देवी थी | अटल जी की शिक्षा-दीक्षा
ग्वालियर में ही सम्पन्न हुई। 1939 में जब वे ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अध्ययन कर रहे थे तभी से राष्ट्रीय स्वंय संघ में जाने लगे थे।
राजनीति में प्रवेश करने के उपरान्त आप कदम-पर-कदम राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ते गए और वे आज भी भारतीय के बेदाग शीर्ष-पुरुष है | ये भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें देश एक निर्विवाद श्रेष्ठ व्यक्ति मानता हैं | ये एक कुशल तथा ओजस्वी वक्ता के रूप में जाने जाते हैं |
सर्वश्री रामविलास पासवान तथा शिवराज पाटिल इनके भाषण के दीवाने रहे हैं| यहाँ तक कि विरोधी दल के नेता भी उनके प्रशंसक रहे हैं|
11 वीं लोकसभा में भी ये 13 दिन तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं | 25 जनवरी 1992 को भारत सरकार ने इनको पदम विभूषण से अलंकृत किया था | 28 सितम्बर 1992 उत्तर प्रदेश के हिंदी संस्थान ने इनको हिंदी गौरव के सम्मान से सम्मानित किया 16 अगस्त को आप सर्वश्रेष्ठ सांसद के सम्मान गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किये गए | अटल जी ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ मे हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था और राष्ट्रीय भाषा हिन्दी का मान बढाया। अपनी कविता के माध्यम से कहते हैं,
गूँजी हिन्दी विश्व में,
स्वपन हुआ साकार।
राष्ट्र संघ के मंच से,
हिन्दी का जयकार।
हिन्दी का जयकार,
हिन्द हिन्दी में बोला।
देख स्वभाषा प्रेम,
विश्व अचरज से डोला।
वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और उस संकल्प को पूरी निष्ठा से आज तक निभाया।
वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।
परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये। सन् 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की CIA को भनक तक नहीं लगने दी।
आत्मियता की भावना से ओत-प्रोत, विज्ञान की भी जय जयकार करने वाले, लोकतंत्र के सजग प्रहरी, राजनीति के मसीहा अटल जी को ईश्वर स्वस्थ दीर्घायु प्रदान करे यही प्रार्थना करते हैं