मैं हमेशा से आमिर खान की फैन रही हूँ। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि एक्टिंग के क्षेत्र में आमिर खान ने बॉलीवुड के बाकी दोनों “खान” को बहुत पीछे छोड़ दिया है। लेकिन हक़ीक़त ये है कि एक्टिंग ही सब कुछ नहीं है। और कल मैंने महसूस किया कि शाहरुख़ खान ने आमिर खान को एक सबसे खास पॉइंट पे पटखनी दे दी – वतन से मुहब्बत। याद कीजिये जब शाहरुख़ “हिंदुत्व” टाइप के लोगों के निशाने पर थे जो कह रहे थे कि शाहरुख़ खान की रूह पाकिस्तान में बसती है, शाहरुख़ ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया और कहा कि वह एक हिन्दुस्तानी है और हमेशा हिन्दुस्तानी रहेंगे। वहीँ आमिर खान ने ऐसा आभास दिया कि अगर हालात खिलाफ हुए तो वह पलायन भी कर सकते हैं।
कल एक पुरूस्कार समारोह में आमिर ने देश में असहिस्णुता के मुद्दे पर मोर्चा खोल डाला। इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं थी। ताज्जुब उस तरीके पर है जो उन्होंने असहिस्णुता के खिलाफ जारी बहस का हिस्सा बनने के लिए चुना। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी अकसर देश से पलायन करने के बारे में सोचती है। “किरण का यह कहना अपने आप में बड़ी दुखदाई बात है।” उन्होंने कहा “किरण अपने बच्चे के लिए चिंतित रहती है। उसे अपने आसपास के माहौल से डर लगने लगा है। इससे हमारे आसपास पल रही बेचैनी का पता चल रहा है …. चिंता के अलावा … यह बेचैनी मुझे भी महसूस होती है।”
ध्यान दीजिये यह आमिर नहीं कह रहे कि वह हिन्दुस्तान से बाहर जाना चाहते हैं। उनके अनुसार यह उनकी पत्नी का कहना है, जो कि संयोग से हिन्दू हैं। उनका कहना है कि असहिस्णुता का माहौल इतना ज्यादा ज्यादा फ़ैल गया है कि उनकी पत्नी अपने बच्चे (जोकि मुस्लिम है) की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो उठी हैं। इसलिए ये एक माँ का चिंता भरा सवाल है कि क्या उन्हें देश छोड़ कर कहीं और चला जाना चाहिए? साथ ही उनका ये भी कहना है कि वह खुद इस फीलिंग को महसूस कर रहे हैं।
दरअसल पिछले महीनों में देश में बढ़ते असहिस्णुता के माहौल को नकारना, उसे कण्डेम करना, एक बात है, एक सेलेब्रिटी के तौर पर इस माहौल के खिलाफ लोगों का ध्यान खींचना एक बात है लेकिन ये कहना कि अचानक पूरा देश एक मुस्लिम बच्चे के लिए असुरक्षित हो उठा है, निहायत ही अलग बात है !! ये कुछ कुछ बॉलीवुड की तरह ही नाटकीय और अतिश्योक्ति भरा है। ऊपर से आमिर खान जैसे सोशल आइकॉन की तरफ से आने पर यह स्टेटमेंट बिलकुल ही गैर-जिम्मेदाराना है।
निश्चित ही आमिर खान जैसे बड़े फिल्म स्टार के असहिस्णुता पर ऐसे बयान पर बवाल मचना और राजनीति होना स्वाभाविक है। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों की आँखों में चमक आ गई है और उन्होंने आमिर खान के इस बयान को हाथों-हाथ लेकर इसे देश में बंटवारे की संस्कृति के खिलाफ सबूत करार दे दिया है। और जैसा कि उम्मीद की जा सकती है, बीजेपी ने आमिर खान को बिना मतलब शोशेबाजी करने और देश की “इमेज” पर धब्बा लगाने का आरोप मढ़ दिया है।
खैर, मैं इस हद तक तो नहीं जाना चाहूंगी। लेकिन यह तय है कि आमिर खान जैसा मेगा-स्टार जब यह कहे कि उसकी फैमिली अपनी सुरक्षा को लेकर घबराहट का शिकार है तो इस बयान पर तेज प्रतिक्रिया होनी स्वाभाविक है और इसका दूर दूर तक असर पडेगा ही। लोग यह भी पूछ सकते हैं कि बॉलीवुड की दुनिया से इतर हक़ीक़त में उनकी इस असुरक्षा की भावना में कितना सच छुपा है। लेकिन जब आमिर खान असुरक्षा की बात करें, अपने बच्चे के बारे में चिंता जाहिर करें तो उनका यह डर किसी संक्रमण की तरह फैलता है और देश के उस हिस्से तक जा पहुंचता है जहाँ हिन्दू और मुसलमान शांति-पूर्वक ढंग से भाइयों की तरह रह रहे हैं।
और भी अधिक चिंता की बात यह है कि आमिर का यह बयान हिंदुत्व ब्रिगेड के जहरीले “गो टू पाकिस्तान” नारे को और अधिक यकीनी ताकत देता है। इसमें कोई शक नहीं कि अगर आमिर खान अगर किसी दिन सच में इस देश को छोड़ कर जाने का मन बनाएं तो भी वह पाकिस्तान जैसे अराजक देश जाने की बेवकूफी तो नहीं ही करेंगे। लेकिन यह कर कि वह और उनकी पत्नी उस देश को छोड़ कर जाने की सोच रहे हैं जिसने उन्हें इतना प्यार दिया है और सर-आँखों पर बैठाया है, उसी खतरनाक सिद्धांत को बल देता है जो कहता कि मुसलमान इस देश के लिए आस्थावान नहीं हैं।
आखिर यह कैसे हुआ कि हमारे समय के सबसे इंटेलिजेंट एक्टर, आमिर, अपने शब्दों के होने वाले असर को नहीं पहचान पाये? जब देश भर में असहिस्णुता की डिबेट चल रही थी तब आमिर एकदम खामोश रहे। तब भी खामोश रहे जब बहुत से फिल्म स्टार लेखकों और अन्य बुद्धिजीवियों के साथ अपने अवार्ड वापस कर रहे थे। दादरी हत्याकांड के बाद भी जब उनके साथी किंग शाहरुख़ खान ने देश में अत्यंत असहिस्णुता के माहौल होने का बयान देकर आफत मोल ले ली थी, आमिर, जिन्होंने अपनी सोशल मुद्दों के प्रति सेंसिटिव होने की इमेज बड़ी सावधानी से बनाई है, फिर भी बहस से अलग-थलग ही रहे।
शायद उन्हें लगा कि उस वक़्त इसे लेकर जरुरत से ज्यादा हल्लागुल्ला पहले से ही हो रहा था? शायद वह अपनी बात कहने के लिए ऐसे मौके की तलाश में थे कि जब वह असहिस्णुता के खिलाफ अपना धमाकेदार बयान देकर अपना स्टैंड लोगों को बता पाएं?
और यह भी सच है कि जब उनका बयान आया तो उसने सेंसेशन फैलाने में कोई कसर नहीं रखी। लेकिन यह ऐसे समय पर आया है जब यह बहुत से लोगों को नुक्सान पहुंचाने वाला है। इससे बहुत से लोग भड़केंगे भी जरूर। इस देश में सामजिक बुराइयों की पहले से ही कोई कमी नहीं है। अपने मशहूर सामाजिक टीवी शो “सत्यमेव जयते” के माधयम से आमिर ने उन सबकी और सबका ध्यान भी आकर्षित किया है। कुछ शो में तो उन्होंने इन बुराइयों पर ढेरों आंसू भी बहाएं हैं।
अगर आप एक हिन्दुस्तानी हैं तो आप देश छोड़ कर किसी “सेफ” और सामाजिक तौर से सुरक्षित देश चले जाने की तैयारी नहीं करते ! (वैसा क्या ऐसा कोई देश इस संसार में सचमुच है भी?) आप यहाँ रुक कर इन बुराइयों से लड़ने की कोशिश करते हैं। आप इसी देश में रुकेंगे और हालत को बेहतर करने की कोशिश करेंगे। आमिर जैसे कुशल एक्टर को ये बात पता भी थी। लेकिन उनसे कहाँ चूक हो गई, वही जानें?
(आमिर खान हिन्दुस्तान छोड़ कर जाएंगे कहाँ? – यह लेख शुमा राहा के लेख का अनुवाद है। आप मूल लेख यहाँ पढ़ सकते हैं – http://blogs.timesofindia.indiatimes.com/random-harvest/no-country-for-aamir-khan/)