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समाजवादी पार्टी कुनबे में घमासान, अखिलेश और शिवपाल में टिकटों के बंटवारे पर खींची तलवारें

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के कुनबे में एक बार फिर से घमासान शुरू हो गया है. अब जबकि उत्तर प्रदेश चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है ऐसे में टिकटों के बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच मतभेद खुलकर नजर आने लगे हैं। पार्टी में अखिलेश के विरोधी माने जाने वाले नेताओं (गायत्री प्रजापति, रामपाल यादव, अतीक अहमद) को जगह मिलना कहीं न कहीं इसी का सबूत है। जहां शिवपाल ने 175 कैंडिडेट्स के नाम का एलान किया है, तो अखिलेश यादव ने भी 403 कैंडिडेट्स की लिस्‍ट मुलायम सिंह को सौंपी है। कहा जा रहा है कि अखिलेश की लिस्‍ट में खराब इमेज वाले नेताओं का नाम नहीं है। चर्चा ये भी है कि इस लिस्‍ट में गायत्री प्रजापति का नाम नहीं है। सूत्रों की मानें तो टीम अखिलेश के करीब 200 से ज्‍यादा लोग (विधायक, सपोर्टर्स) इस बात के लिए तैयार हैं कि अगर उनका टिकट काटा जाता है, तो वे निर्दलीय कैंडिडेंट्स के तौर पर इलेक्शन में उतर सकते हैं।

akhilesh shivpal yadav ticket distribution सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने मुलायम को जो लिस्‍ट सौंपी है, उसमें माफिया अंसारी बंधु, बाहुबली अतीक अहमद और पत्नी की हत्या के आरोपी अमनमणि त्रिपाठी का नाम नहीं है। इसके अलावा, अखिलेश ने अपने उन करीबियों को लिस्‍ट में शामिल किया है, जिनका टिकट शिवपाल यादव ने काट दिया था। इस लिस्ट में मौजूदा 35 से 40 मंत्री-विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं।

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वहीँ अब तक यह फैसला नहीं हो पाया है कि समाजवादी पार्टी चुनाव में अखिलेश यादव को अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ेगी या नहीं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस-आरएलडी-जेडीयू चाहते हैं कि गठबंधन होने पर अखिलेश यादव के नाम पर चुनाव लड़ा जाए। उन्‍हें लगता है कि अगर अखिलेश को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता है, तो चुनाव में गठबंधन को फायदा हो सकता है। लेकिन मुलायम इस बात के लिए तैयार नहीं हैं। वे चाहते हैं कि चुनाव किसी व्‍यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि पार्टी के आधार पर लड़ा जाए और एक एकजुट गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ा जाए। ऐसा माना जा रहा है कि मुलायम की इस सोच के पीछे अमर सिंह और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का हाथ है।

ध्यान रहे कि पिछले महीने भी अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह की बहुत लानत मलानत की थी. यहाँ तक कि उन्होंने अखिलेश यादव को दलाल तक कह डाला था.

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शनिवार को अमर सिंह ने लखनऊ में मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में अमर सिंह ने सपा और कांग्रेस के गठबंधन की बात को आगे बढ़ाया लेकिन मुलायम सिंह ने बाद में गठबंधन की खबरों से इनकार कर दिया और कहा कि सपा अकेले चुनाव लड़ेगी। इस मुलाकात के अगले ही दिन गायत्री प्रजापति को सपा का नेशनल सेक्रेटरी बन दिया गया, जिन्‍हें अखिलेश का विरोधी माना जाता है। सोमवार को भी अखिलेश के विरोधी माने जाने वाले रामपाल यादव की पार्टी में वापसी हो गई। उन्‍हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते जनवरी में सपा से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया था।

मुलायम सिंह यादव के अकेले चुनाव लड़ने के एलान के बाद जेडीयू नेता शरद यादव ने इस पर हैरानी जताई। उन्‍होंने कहा- “खुद मुलायम सिंह ने मुझे और देवेगौड़ा जी को गठबंधन पर बात करने के लिए 5 तारीख को बुलाया था। ऐसे में उनका ये बयान हैरान कर देने वाला है। देश संकट का सामना कर रहा है। मुलायम सिंह को गठबंधन के बारे में फिर से सोचना चाहिए।”

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माना जा रहा है कि अधिकतर विपक्षी पार्टियां जैसे कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल आदि समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ने की स्थिति में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुनाव मैदान में उतारना चाहती हैं.
देखना दिलचप रहेगा कि समाजवादी पार्टी के कुनबे की यह लड़ाई कहाँ तक जाती है.

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