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चाणक्य नीति – आचार्य चाणक्य का परिचय

Acharya Chankya ka parichay

Acharya Chankya ka parichayआचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थे लेकिन उनकी राजनीति में गहरी पकड़ थी। इनके पिता का नाम आचार्य चणीक था इसी वजह से इन्हें चणीक पुत्र चाणक्य कहा जाता है। संभवत: पहली बार कूटनीति का प्रयोग आचार्य चाणक्य द्वारा ही किया गया था। जब उन्होंने सम्राट सिकंदर को भारत छोडऩे पर मजबूर कर दिया। इसके अतिरिक्त कूटनीति से ही उन्होंने चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट भी बनाया। आचार्य चाणक्य द्वारा श्रेष्ठ जीवन के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ रचा गया है। इसमें दी गई नीतियों का पालन करने पर जीवन में सफलताएं अवश्य प्राप्त होती हैं।

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ऐसा माना जाता है सबसे पहले अखंड भारत की परिकल्पना आचार्य चाणक्य ने ही की थी। उस समय भारत आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। तब भारत की सीमाएं बहुत ही विस्तृत थीं, जो कि कई छोटे-छोटे साम्राज्य में विभाजित थीं। इन सभी साम्राज्यों को जोड़कर अखंड भारत बनाने का सपना आचार्य चाणक्य ने देखा था।

जब सम्राट सिकंदर भारत पर आक्रमण के लिए आया तब चाणक्य ने कूटनीति से उसे पुन: लौटा दिया था। उस समय भारत के सभी साम्राज्यों में से एक सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था मगध। मगध की राजधानी पाटलीपुत्र थी जो कि आज पटना के नाम से प्रसिद्ध है। मगध का सम्राट धनानंद हमेशा ही भोग-विलास में डूबा रहता था और प्रजा की उसे कोई चिंता नहीं थी। वह सभी छोटे-छोटे राजाओं से मनमाना कर वसूल करता था। धनानंद ने अपनी सभा में आचार्य चाणक्य का अपमान कर दिया था। तब चाणक्य ने धनानंद का कुशासन समाप्त करने की प्रतिज्ञा ली।

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प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए आचार्य चाणक्य ने एक सामान्य से बालक चंद्रगुप्त को तक्षशिला में शिक्षा दी। इसी बालक चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने धनानंद का कुशासन समाप्त किया और अखंड भारत की स्थापना की।

चाणक्य नीति क्या है?
आचार्य चाणक्य तक्षशिला के गुरुकुल में अर्थशास्त्र के आचार्य थें लेकिन उन्हें राजनीति और कूटनीति में भी महारत हासिल थी। चाणक्य ने एक महत्वपूर्ण ग्रंथ भी रचा जिसका नाम है चाणक्य नीति। इस नीति शास्त्र में जीवन में सफलता कैसे प्राप्त करें, इस संबंध में महत्वपूर्ण नीतियां बताई गई हैं। इन नीतियों का पालन करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से जीवन में हर कदम सफलता प्राप्त करता है और उल्लेखनीय कार्य करता है।

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