Advertisement

पाखण्ड़ी का भेद एक दिन खुल ही जाता है – शिक्षाप्रद कहानी

किसी नगर में सड़क के किनारे एक ज्योतिषी बैठा करता था। लोगों का भविष्य बताकर वह जो धन कमाता, उसी से उसका जीवन-यापन होता था।

पाखण्ड़ी का भेद एक दिन खुल ही जाता है - शिक्षाप्रद कहानी

Advertisement

प्रतिदिन वह सड़क के किनारे आकर बैठ जाता और जन्मपत्री के चित्र आदि सड़क पर सजाता ताकि लोगों को स्वयं यह पता चले कि वह एक महान ज्योतिषी तथा हस्तरेखा विषेशज्ञ है। परंतु सत्य यह था कि वह लोगों को मूर्ख बनाता था।

उसके आबंडर को देख लोग उसके चारों ओर इकट्टा हो जाते और अपने भविष्य के बारे में विभिन्न प्रष्न पूछते और उसके द्वारा बताई गईं बातों से प्रसन्न हो उसे बदले में धन देते।

Advertisement

कभी-कभी जब ज्योतिषी का भाग्य अच्छा होता तो वह अधिक धन कमाता, परंतु कभी ऐसा भी होता कि उसके ग्राहक उसे बहुत कम धन देते।

एक दिन वह अपने ग्राहकों को उनके भविष्य में होने वाली आश्चर्यजनक और अद्भूत घटनाओं के विषय में बता रहा था। लोग चारों तरफ से उसे घेरकर बैठे उसकी बातों को बड़े चाव से सुन रहे थे। तभी एक व्यक्ति दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला कि ज्योतिषी के घर में चोरी हो गई है तथा घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है।

Advertisement

यह सुनते ही ज्योतिषी घबरा कर उठ खड़ा हुआ और तेजी से अपने घर की ओर भागा। तभी अचानक रास्ते में एक अजनबी व्यक्ति ने उसे रोक कर पूछा- ”क्षमा कीजिए श्रीमान! क्या मैं जान सकता हूं, आप दौड़ क्यों रहे हैं?“ क्या कोई दुर्घटना हो गई है?

”हां, हां अभी-अभी किसी ने आकर मुझे सूचना दी है कि मेरे घर में चोरी हो गई है!“ घबराइए हुए ज्योतिषी ने कहा।

अपरिचित व्यक्ति मुस्करा बोला- ”किसी अन्य व्यक्ति ने आपको सूचना दी है। इसका अर्थ यह हुआ कि आपको स्वयं इस विषय में कोई भी ज्ञान नहीं है। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि जो व्यक्ति दूसरों के भाग्य की भविष्यवाणी करता हो, उसे स्वयं अपने दुर्भाग्य का पता नहीं था।“

Advertisement

शिक्षा –  पाखण्ड़ी का भेद एक दिन खुल ही जाता है।

Advertisement