उत्तर प्रदेश के दलितों में मायावती की जैसे पूजा ही की जाती है और उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान चुनाव में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंदी मानी जा रही है जबकि समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के लोकप्रिय चेहरे के बावजूद तीसरे नंबर पर पिछड़ गयी है.
मुख्य बिंदु:
1. भाजपा चुनाव से पहले दलितों का रुख मायावती से मोड़ कर अपनी और करना चाहती है.
2. भाजपा दलितों को अपने पक्ष में करने के लिए पार्टी के हर स्टार पर दलितों की भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती है.
3. मायावती दलितों में इस हद तक लोकप्रिय हैं जैसे उनकी पूजा ही की जाती हो.
भाजपा ने आज उत्तर प्रदेश के चुनावों से पहले दलितों को मायावती से मोड़कर अपने पक्ष में करने के लिए आज एक नया कार्ड चला है. पार्टी ने आज अपनी हाल की महत्वकांक्षी विमुद्रीकरण की योजना को दलितों के मसीहा माने जाने वाले डॉक्टर भीमराव आंबेडकर से जोड़ने का दांव चला है. माना जा रहा है कि ऐसा करने के पीछे भाजपा की मंशा मायावती के खास वोट बैंक दलितों में सेंध लगाना है.
भाजपा ने आज विमुद्रीकरण की अपनी योजना को बी आर आंबेडकर के दलित उत्थान और दलित समृद्धि के सपने से जोड़ने का प्रयास करते हुए कहा कि आंबेडकर ने कहा था की मुद्रा का हर 10 साल में नवीनीकरण हो जाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार न पनप सके. भाजपा ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी के 500 और 1000 के नोट बंद करने के पीछे आंबेडकर की यही सोच काम कर रही है ताकि समाज में सबसे नीचे पायदान पर स्थित दलित एवं गरीब वर्ग की समृद्धि में भागीदारी तय हो सके.
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भाजपा के उत्तर प्रदेश पिछड़ी जाति मोर्चा के अध्यक्ष दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा “यह बड़े शर्म की बात है कि बाबा साहब आंबेडकर को समाज के एक वर्ग विशेष का नेता मान लिया गया है. लेकिन सच तो यह है कि बाबा साहब आंबेडकर एक दूरदृष्टा नेता थे और उनकी इस दूरगामी सोच का पता उनके लेखों से चलता है. एक महान अर्थशास्त्री की तरह उन्होंने 1923 में ही यह प्रस्ताव दिया था भारत कि मुद्रा का हर 10 वर्षों में नवीनीकरण किया जाए ताकि करेंसी को काले धन के रूप में इकठ्ठा न किया जा सके और मुद्रा स्फीति पर रोक लगाई जा सके.” इस सन्दर्भ में उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर की पुस्तक “भारतीय रुपये की समस्याएं” का उल्लेख भी किया