Advertisement

खुशकिस्मती या बदक़िस्मती, सिर्फ़ भगवान जानता है – शिक्षाप्रद कहानी

बहुत बार ऐसा होता है कि हमारे मुश्किल वक़्त में हम अपनी परेशानियों का कारण उस इंसान को मानने लगते हैं जो अक्सर हमारे साथ रहा करता है… पर इस कहानी को पढ़ने के बाद आपके सोचने का नजरिया बदल जाएगा।

Advertisement

shikshaprad-kahani-khushkismati-badkismatiएक बार की बात है एक बहुत से यात्रियों से भरी एक बस कहीं जा रही थी। अचानक मौसम बदला और धूल भरी आंधी चलने लगी। बहुत देर आंधी चलने के बाद अचानक बड़े जोरों की बारिश होने लगी। देखते-देखते बारिश तेज तूफ़ान में बदल गयी। चारों तरफ घनघोर अंधेरा छा गया और बादलों की गड़गड़ाहट के बीच भयंकर बिजली चमकने लगी। बिजली कड़क कर नीचे की और आती तो बस में बैठे यात्रियों को ऐसा लगता कि जान अब गई तब गई। ऐसा कई बार हुआ। सब की सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे।

ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बड़े से पेड से करीब पचास कदम की दूरी पर रोक दिया और यात्रियों से कहा कि इस बस मे कोई एक ऐसा यात्री बैठा है जिसकी मौत आज निश्चित है। यह बिजली आज उसी के नाम की कड़क रही है। उसके साथ-साथ कहीं हमें भी अपनी जिन्दगी से हाथ न धोना पडे इसलिए सभी यात्री एक एक कर जाओ और उस पेड के हाथ लगाकर आओ। जो भी बदकिस्मत होगा उस पर बस से पेड़ तक आने जाने के वक़्त बिजली गिर जाएगी और बस में बैठे बाकी सब लोग बच जाएंगे।

Advertisement

सबसे पहले जिसकी बारी थी उसको दो तीन यात्रियों ने जबरदस्ती धक्का देकर बस से नीचे उतारा। वह धीरे धीरे पेड़ तक गया और उसने डरते डरते पेड़ को हाथ लगाया और भाग कर आकर बस में बैठ गया।

ऐसे ही एक एक कर सब यात्री जाते और भागकर आकर बस में बैठ चैन की सांस लेते। अंत मे केवल एक आदमी बच गया। उसने सोचा तेरी मौत तो आज निश्चित है। बस में बैठे बाकी यात्रियों की नज़र उसे किसी अपराधी की तरह घूर रहीं थीं जो आज उन्हे अपने साथ ले मरने वाला था। उसे भी जबरदस्ती बस से नीचे उतारा गया। वह भारी मन से पेड़ के पास पहुँचा और जैसे ही उसने पेड़ को हाथ लगाया तेज आवाज से बिजली कड़की और बस पर गिर गयी। देखते ही देखते बस धूं धूं कर जल उठी और उसमें बैठे सभी यात्री मारे गये सिर्फ उस एक यात्री को छोड़ कर जिसे सभी लोग कुछ देर पहले तक बदकिस्मत और अपनी परेशानी की जड़ मान रहे थे। वो नही जानते थे कि उसकी वजह से ही सबकी जान बची हुई थी।

Advertisement

“साथियों, हम सब अपनी परेशानी और मुश्किलों की जिम्मेदारी किसी और के सर मढ़ देना चाहते हैं जबकि कई बार वही मित्र हमें तमाम मुश्किलों से बचाये हुए होता है”

Advertisement