सगुन ज्ञान सम उद्यम, उद्यम सम फल जान
फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में कौन सा अलंकार है?
सगुन ज्ञान सम उद्यम, उद्यम सम फल जान
फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में कौन सा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
सगुन ज्ञान सम उद्यम, उद्यम सम फल जान
फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में उपमा अलंकार है क्योंकि यहाँ उद्यम की तुलना सगुण gyan से की गई है।
सगुन ज्ञान सम उद्यम, उद्यम सम फल जान
फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में उपमेय, उपमान, समान धर्म एवं वाचक को स्पष्ट कीजिये
उपमेय – जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में उद्यम उपमेय है।
उपमान – जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है। उपर्युक्त पंक्ति में सगुण gyan उपमान है।
समान धर्म – उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है। उपर्युक्त उदाहरण में समान धर्म है।
वाचक शब्द – वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में सरिस वाचक शब्द है।
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फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में उपमा अलंकार का कौन सा भेद है?
सगुन ज्ञान सम उद्यम, उद्यम सम फल जान
फल समान पुनि दान है, दान सरिस सनमान॥ में उपमा का भेद है – लुप्तोपमा
उपमा अलंकार- जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं
सा, से, सी, सम, समान, सरिस, इव, समाना आदि कुछ अन्यवाचक शब्द है।
उपमा अलंकार के तीन भेद हैं–पूर्णोपमा, लुप्तोपमा और मालोपमा।
(क) पूर्णोपमा – जहाँ उपमा के चारों अंग विद्यमान हों वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है;
जैसे-
हरिपद कोमल कमल से”
(ख) लुप्तोपमा – जहाँ उपमा के एक या अनेक अंगों का अभाव हो वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है;
जैसे-
“पड़ी थी बिजली-सी विकराल।
लपेटे थे घन जैसे बाल”।
(ग) मालोपमा – जहाँ किसी कथन में एक ही उपमेय के अनेक उपमान होते हैं वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।
जैसे-
“चन्द्रमा-सा कान्तिमय, मृदु कमल-सा कोमल महा
कुसुम-सा हँसता हुआ, प्राणेश्वरी का मुख रहा।।”
उपमा अलंकार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ:
उपमा अलंकार – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
- रूपक अलंकार की परिभाषा, अंग (भेद) एवं उदाहरण Roopak Alankar in Hindi
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