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Samvad Lekhan हास्य संवाद लेखन – संवाद लेखन

Hasya samvad- Samvad Lekhan

मिन्नी : सुमन आज तो मेरे पेट में हँसते-हँसते दर्द ही हो गया ।

सुमन : अरे ऐसा क्या हुआ जरा हमें भी तो बताओ ।

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मिन्नी : आजकल मेरी बुआ आई हुई हैं ।

सुमन : तो ?

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मिन्नी : तो …. अरे तो सुनो तो सही ।

सुमन : बोलिए जी वक्ता जी । श्रोता सुन रहे हैं ।

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मिन्नी : हाँ…..तो क्या हुआ कि हम सब दिन में खाना खा रहे थे । बुआ भी साथ में थीं। खाना खाते-खाते उन्होंने एकदम कहा कि मेरे घूंटने में तकलीफ हो रही है ।

सुमन : फिर ?

मिन्नी : फिर क्या था, एक तो वे बाहर से आई हुई हैं, ऊपर से बुज़ुर्ग भी हैं । सब घबरा गए की बुआ के गले में क्या हो गया ? मेरी माँ ने भी आव देखा न ताव जल्दी से पानी का गिलास उनके मुँह से लगा दिया ।

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सुमन : फिर क्या हुआ सुमन ?

मिन्नी : सुनो तो सही । बहुत मजे की बात है । बुआ को भी कुछ समझ नहीं आया और बोलीं क्या हो गया ? तुम सब लोग इतने परेशान क्यों हो गए ? माँ बोली आपके घूंटने में तकलीफ हो रही है । तो बुआ बोलीं अरे भाई मेरे घूंटने में नहीं, घुटने में तकलीफ हो रही है । इसके बाद तो सब इतनी जोर-जोर से ठाहाके लगाकर हँसे कि मैं तुम्हे बता ही नहीं सकती । याद कर-कर के मुझे अभी तक हँसी आ रही है ।

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