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Samvad Lekhan पेयजल की समस्या पर संवाद – संवाद लेखन

 

Peyjal ki samsya par samvad- Samvad Lekhan

उर्मिला : आज सुबह ही मैंने समाचार पत्र में पढ़ा की पूरे संसार में पेयजल का संकट घिरा हुआ है ।मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि यदि अभी यह हाल है तो आगे क्या होगा ? भावी पीढ़ी का गुज़ारा कैसे होगा ?

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कविता : अरे उर्मिला ! यह सब हमारा ही तो करा-धरा है जो हम अब भुगत रहे हैं। इंसान के अपने ही लालच के कारण भू-जल का स्तर गिर गया है और कितनी ही नदियों में गंदगी मिलने के कारण उनका जल पीने योग्य नहीं रह गया ।

उर्मिला ; तुम ठीक कह रही हो कविता । हम लोग ही पानी का इतना दोहन कर रहे है कि पीने योग्य पानी का अभाव होने लगा हैं । विकास के नाम पर जो प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है उसके कारण कितने ही जल के प्रक्क्रुतिक स्रोत अब सूखने लगे हैं और कितने ही सूख चुके हैं ।

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कविता : कई देशों में तो नहाने और मल बहाने में ही जरुरत से कहीं अधिक पीने योग्य जल बहा दिया जाता हैं । जिसके कारण यह स्थिति है कि कई देशों को मल मिला हुआ जल पीने के काम में लाना पड़ता है ।

उर्मिला : बदलते पर्यावरण के कारण भी पृथ्वी का जल स्तर गिर रहा है । साथ ही अनियंत्रित औद्योगिक गतिविधियों के कारण पीने योग्य जल दूषित हो हो रहा है ।

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कविता : तुम्हे पता है कि इंसान बिना पानी के तीन दिन भी जिन्दा नहीं रह सकता और विश्व के कई देश तो इस समस्या से जूझने भी लगा हैं ।

उर्मिला : यदि अभी भी इस और ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ी की दशा क्या होगी यह हम समझ ही सकते हैं ।

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