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क्यों की जाती है मंगल की भात पूजा? (Mangal ki Bhat Puja)

Mangal ki Bhat Puja kyon ki jati hai?

ग्रह पूजा में हर ग्रह की पूजन सामग्री भिन्न होती है। जिसमें मंगल की भात पूजा प्रसिद्ध है। मंगल को भात क्यों चढ़ाया जाता है। यह भोग है या श्रृंगार। दरअसल मंगल लाल ग्रह है, अग्नि का कारक है, इसका एक नाम अंगारक भी है। यह तेज अग्नि से परिपूर्ण है। इसीलिए मंगल से प्रभावित कुण्डली के लोगों के स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी शामिल होता है।

Mangal ki Bhat Pujaमंगल को आक्रामकता, साहस और आत्मविश्वास के लिए मुख्य ग्रह माना जाता है और यह मुद्रा, संपत्ति, वैवाहिक जीवन, दुर्घटना, सर्जरी, संबंध, ऋण, बाल और हृदय से संबंधित समस्याओं से संबंधित मामलों पर मजबूत प्रभाव देता है

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मंगल को भात इसीलिए चढ़ाए जाते हैं, क्योंकि भात यानी चावल की प्रकृति ठंडी होती है। इससे मंगल को शांति मिलती है और वह भात पूजन करने वाले पर कृपा करते हैं। ठंडक मिलने से मंगल के दुष्प्रभाव स्वतः कम होते हैं।

मंगल से प्रभावित कुण्डली वाले जातकों को भी अपने खाने में चावल को शामिल करना चाहिए जिससे उनके स्वभाव में भी थोड़ी शांति और ठंडक आती है। क्रोध कम होता है।

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भात पूजन द्वारा मंगल ग्रह दोष की शांति

सम्पूर्ण विश्व में भारत देश के अंर्तगत मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में एक मात्र मंग्रल ग्रह का मंदिर है, जहॉं ब्रम्हाण्ड से मंगल ग्रह की सीधी किरणे कर्क रेखा पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग के उपर पढती है, जिससे यह शिवलिंग मंगल ग्रह के प्रतीक स्वरूप में जाना जाता है तथा यहॉ पर पूजन, अभिषेक, जाप व दर्शन से मंगलदोष का निवारण होता है।

मंगल दोष निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र अवंतिका ( उज्जैन ) में ही सम्पन्न कराया जाता है। यहॉ विधिवत् भात पूजन कराने से मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव में कमी आकर शुभ फलो की वृद्धि होती है। यहां शिवलिंग का भात पूजन कर मंगल शांति की जाती है। यही नहीं भगवान का कुमकुम और गुलाब या लाल पुष्पों से अभिषेक भी किया जाता है। भात पूजन से मंगल दोष का निवारण हो जाता है। व्यक्ति को इस शांति के बाद नौकरी और विवाह के साथ अन्य परेशानियां नहीं आती।

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भात पूजन की विधि (Mangal ki Bhat Puja):- भात पूजन मे सर्वप्रथम गणेश गौरी पूजन के पश्चात नवग्रह पूजन के पश्चात् कलश पूजन एवं शिवलिंग रूप भगवान का पंचामृत पूजन एवं अभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा किया जाता है. इसके पश्चात् भगवान की भात अर्पित कर आरती एवं पूजन किया जाता है जिससे पूजन करने वाले को विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होती है, भात पूजा मंगल दोष निवारण का प्रभावी एवं त्वरित उपाय है !

ग्रहों में मंगल का तीसरा स्थान प्राप्त है जिन जातकों की कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश स्थानों पर यदि मंगल हो तो जातक की पत्रिका मांगलिक कहलाती है । हर स्थान पर मंगल कभी भी अमंगल नहीं करतें उपरोक्त स्थानों पर ही कुछ समस्याऐ आती है जैसे विवाह में विलम्ब, ऋण -वृद्धि, सन्तान प्राप्ति में बाधा, राजनैतिक क्षेत्र में वर्चस्व में कमी, प्रशासनिक क्षेत्र में असफलता, भवन, भूमि, वाहन, धातु आदि के व्यवसाय में हानि इत्यादि कारणों से जातक हमेशा मानसिक व शारीरिक समस्याओं से ग्रसित रहता है।

इन सभी बाधाओं को दूर करने के लिये भगवान मंगल की विशेष आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने हेतु कुछ अनुष्ठान किये जाते है जो मंगल के मूल जन्म स्थान अवंतिका में खर्राता संगम अर्थात क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित स्वयं भू महामंगल श्री अंगारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर संपन्न होते है जिनमे मुख्य रूप से पंचामृत पूजा, गुलाल पूजा, तथा भात पूजन, मंगल मंत्रो से जाप व हवन प्रमुख है ।

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