दिल्ली : आज भारतीय स्टील इंडस्ट्री की एक पुरानी और महत्वपूर्ण मांग सरकार द्वारा मांग ली गई है . देर रात प्राप्त सूत्रों के अनुसार स्टील इम्पोर्ट्स पर मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (Minimum Import Price on Steel) लागू कर दी गई है . इससे मंदी की मार झेलते भारतीय इस्पात उद्योग को संजीवनी मिलने के आसार हैं .
भारतीय इस्पात कंपनियां भारी मंदी के दौर से गुजर रहीं हैं . अधिकतर कम्पनियाँ जहाँ बढ़ी हुई उत्पादन क्षमता, बढ़ते ब्याज और लोन के बोझ से पहले से ही ट्रस्ट थीं वहीँ पिछले एक साल से विदेशों से सस्ते स्टील के इम्पोर्ट ने इंडस्ट्री की कमर तोड़ कर रख दी है . हालात ये हैं कि सभी कम्पनियाँ साल के तीसरे तिमाही के नतीजों में घाटा घोषित करने वाली हैं . ऐसे में सरकार का मिनिमम इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने का कदम का इस्पात उद्योग ने स्वागत किया है .
भारतीय स्टील एसोसिएशन ने सरकार के इस कदम को भारतीय स्टील इंडस्ट्रीज के लिए संजीवनी करार देते हुए सराहा है . एसोसिएशन ने आशा व्यक्त की है सरकार इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ा कर 25 % करने की एसोसिएशन की मांग भी स्वीकार करेगी. जिससे देश में सस्ते और घटिया गुणवत्ता के स्टील के आयात पर रोक लगेगी .
ध्यान रहे कि विदेशों, विशेष रूप से चीन से, सस्ते दामों पर हो रहे भरी मात्र में स्टील के आयात ने भारतीय स्टील निर्माता कंपनियों के सामने जीवन-मरण का सवाल उत्पन्न कर दिया था .हालात यह थे कि कम्पनियाँ स्टील उत्पादन की लगत से भी नीचे अपने उत्पादों को बेचने पर मजबूर हो रही थीं . विशेषकर हॉट रोल्ड और कोल्ड रोल्ड शीट्स का सस्ता आयात स्टील कंपनियों को सबसे नुक्सान पहुंचा रहा था क्यूंकि देश में कंपनियों की उत्पादन क्षमता में सर्वाधिक बढ़ोतरी इसी क्षेत्र में हुई है .
हालांकि मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस लागू होने की खबर की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है .